पुलवामा की पहली बरसी: तीन दशक का सबसे घातक आतंकी हमला! जब 20 साल के आतंकवादी ने ली 40 जवानों की जान

14 फरवरी 2019... सारी दुनिया वैलेंटाइन-डे की खुशियों में डूबी हुई थी. दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अचानक न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर दिल दहला देने वाली खबर आती है कि कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के जवानों को ले जा रही ट्रकों के काफिले से एक कार टकराती है, एक के बाद एक कई धमाके होते हैं. देखते ही देखते भारतीय सैनिकों की क्षत-विक्षत लाशें सड़कों पर बिखरी नजर आती है. कश्मीर में जवानों पर हुआ पिछले 30 सालों का यह सबसे बड़ा और घातक हमला था. इस कांड की जिम्मेदारी पाकिस्तान में रह रहे आतंकी संगठन के अगुवा जैश ए मोहम्मद ने लिया था. आखिर इन निर्दोष सैनिकों की हत्या के पीछे की क्या कहानी थी, आइये जानते हैं..

पुलवामा आतंकी हमला (Photo Credits: IANS)

14 फरवरी 2019... सारी दुनिया वैलेंटाइन-डे की खुशियों में डूबी हुई थी. दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अचानक न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर दिल दहला देने वाली खबर आती है कि कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के जवानों को ले जा रही ट्रकों के काफिले से एक कार टकराती है, एक के बाद एक कई धमाके होते हैं. देखते ही देखते भारतीय सैनिकों की क्षत-विक्षत लाशें सड़कों पर बिखरी नजर आती है. कश्मीर में जवानों पर हुआ पिछले 30 सालों का यह सबसे बड़ा और घातक हमला था. इस कांड की जिम्मेदारी पाकिस्तान में रह रहे आतंकी संगठन के अगुवा जैश ए मोहम्मद ने लिया था. आखिर इन निर्दोष सैनिकों की हत्या के पीछे की क्या कहानी थी, आइये जानते हैं..

वो खूनी मंजर

14 फरवरी के उस खूनी मंजर को देशवासी कभी नहीं भुला सकेंगे. 14 फरवरी को उस दिन 78 वाहनों का काफिला 2500 सैनिकों को लेकर जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. वाहनों का ये काफिला अवंतीपोरा के पास लेथीपोरा में नेशनल हाइवे 44 से गुजर रहा था. लगभग साढ़े तीन से पौने चार बजे का वक्त था. अचानक साढ़े तीन सौ किलो विस्फोट से भरी एक एसयूवी कार वाहनों के काफिले की ओर बढ़ती है. और भयंकर धमाकों एवं धूओं से पूरा वातावरण दहल जाता है. जिस बस से एसयूवी टकराई थी, उसके परखच्चे उड़ जाते हैं. एसयूवी कार काफिले के 76वें बटालियन की बस से टकराई थी. उस बस के भी परखच्चे दूर-दूर तक उड़कर बिखर गये जवान होश संभालते 40 जवान शहीद हो चुके थे. जवानों के क्षत-विक्षत शव और खून से पूरा सड़क पट चुका था. शहीद हुए जवानों की संख्या भी कम नहीं थी.

20 वर्षीय किशोर था 40 सैनिकों का कातिल

हैरानी की बात यह थी कि सीआरपीएफ के जवानों पर हमला करने वाला युवक आदिल अहमद डार मात्र 20 वर्ष का किशोर था. आदिल अहमद डार कश्मीर स्थित पुलवामा जिले के गांव काकापोरा का रहनेवाला था और एक साल पहले ही जैश में शामिल हुआ था. उसके माता-पिता के अनुसार आदिल 12वीं की परीक्षा की तैयारी कर रहा था, कि परीक्षा से कुछ ही दिन पूर्व अचानक वह गायब हो गया. इस आत्मघाती हमले में आदिल अहमद डार की मृत्यु हो चुकी थी. इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन के मुखिया जैश ए मोहम्मद ने ली और इस संदर्भ में आदिल डार का एक वीडियो भी जारी किया था.

हमले के पीछे था पाकिस्तान का हाथ

हमले के दिन पाकिस्तान ने दावा किया था कि पुलवामा हमले में उसका कोई हाथ नहीं है. लेकिन जैश ए मुहम्मद द्वारा हमले की जिम्मेदारी लेने के बाद तय हो गया कि एक बार फिर पाकिस्तान की सरजमीं से भारत पर आतंकी हमला हुआ था. भारत ने उसे सख्त चेतावनी दी थी कि वह अपने आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई करे. दुनिया भर के देशों ने इस हमले की निंदा की थी. भारत में इस हमले को लेकर आक्रोश था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाते हुए कहा था कि आतंकियों ने गंभीर गलती की है. हमारे जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. भारत सरकार ने सुरक्षाबलों को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई की खुली छूट दे दी गई है. सर्जिकल स्ट्राइक उसी छूट का नतीजा था.

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