1984 सिख दंगा: कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने पार्टी से दिया इस्तीफा, राहुल को लिखा पत्र

दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े मामले में कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी. बता दें कि सज्जन कुमार और पांच अन्य पर पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह (एक ही परिवार के सदस्य) की हत्या में शामिल होने के आरोप में मुकदमा चल रहा था

सज्जन कुमार ( फोटो क्रेडिट - ANI )

कांग्रेस (Congress ) नेता सज्जन कुमार ने मंगलवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र लिख पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.  पार्टी से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि सज्जन कुमार (Sajjan Kumar) ने पत्र लिखते हुए राहुल गांधी (Rahul Gandhi) बताया है कि मेरे खिलाफ आए दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मैं कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं. दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 सिख विरोधी दंगों (1984 anti-Sikh riots)  से जुड़े मामले में कुमार को दोषी ठहराते हुए उन्हें ताउम्र कैद की सजा सुनाई थी.

बता दें कि सज्जन कुमार और पांच अन्य पर पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह (एक ही परिवार के सदस्य) की हत्या में शामिल होने के आरोप में मुकदमा चल रहा था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र राज नगर इलाके में भीड़ ने इन पांचों की हत्या कर दी थी.

फैसला सुनाते हुए दालत ने कहा था कि, 1984 में दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में एक नवंबर से चार नवंबर तक सिखों की बड़े पैमाने पर हत्या की साजिश कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता से राजनीतिक खिलाड़ियों द्वारा रची गई थी. अदालत ने इसे मानवता के खिलाफ अपराध बताते हुए कहा कि यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि ओटोमन प्रशासन की मौन सहमति और सहायता से कुर्दों और तुर्को द्वारा बड़े पैमाने पर आर्मेनियाई लोगों की हत्या के बाद तुर्की की सरकार के खिलाफ 28 मई, 2015 को ब्रिटेन, रूस और फ्रांस की सरकारों ने पहली बार संयुक्त घोषणा में इसे मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में स्वीकार किया था.

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साल 1947 की गर्मियों में देश के विभाजन की घटना को याद करते हुए अदालत ने कहा, 1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान देश ने भयावह नरसंहार देखा, जब सिख, मुस्लिम और हिंदुओं सहित कई लाख नागरिकों की हत्या कर दी गई थी. इसने कहा कि 37 साल बाद देश ने फिर से एक बड़ी मानव त्रासदी को देखा. 31 अक्टूबर, 1984 की सुबह दो सिख अंगरक्षकों द्वारा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दिए जाने के बाद एक सांप्रदायिक उन्माद भड़क उठा था. अदालत ने कहा कि उस साल एक नवंबर से लेकर चार नवंबर तक चार दिन पूरी दिल्ली में 2,733 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. उनके घरों को नष्ट कर दिया गया। देश के बाकी हिस्सों में भी हजारों सिख मारे गए. ( एजेंसी इनपुट )

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