पुणे, 10 मई: लॉकडाउन के चलते नौकरी गंवाने और घर जाने के लिए बेताब, 10 प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों को लौटने के लिए महाराष्ट्र के पुणे से पैदल ही निकल पड़े हैं. पुणे प्रशासन ने औरंगाबाद (Aurangabad) में मालगाड़ी से कटकर 16 श्रमिकों की मौत के मद्देनजर संबंधित अधिकारियों को ऐसे प्रवासियों के लिए जिले में राजमार्गों पर उपलब्ध होटलों एवं हॉल में जरूरी प्रबंध करने और उनके लिए शिविर बनाने को कहा है.
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद जिले के रहने वाले ये सभी 10 मजदूर नौकरी जाने और गुजारा कर पाने में असमर्थ होने के बाद शनिवार शाम पुणे से अपने घरों के लिए पैदल रवाना हुए. समूह के एक श्रमिक ने कहा, ‘‘हम सभी निर्माण मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे. अब हमारे पास खाने के लिए कुछ नहीं है. इसलिए, हमने उत्तर प्रदेश में अपने पैतृक स्थान लौटने का फैसला किया है.”
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जिला परिषद के सीईओ आयुष प्रसाद ने रविवार को कहा कि पुणे जिला अधिकारी नवल किशोर राम ने तहसीलदार और प्रखंड विकास अधिकारियों को मुख्य मार्ग पर श्रमिक शिविर तत्काल स्थापित करने का आदेश दिया है जहां से प्रवासी अपने घरों को लौट रहे होंगे.
उन्होंने कहा, “नासिक, बेंगलुरु और हैदराबाद जाने वाली तीन सड़कों पर सड़क किनारे के होटलों और विवाह हॉल में उचित दूरी पर शिविर स्थापित किए जाने चाहिए. तहसीलदार जरूरत के आधार पर शिविरों की संख्या और जगह निर्धारित करेंगे. हम जिले में कम से कम 35 शिविरों की उम्मीद कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि प्रत्येक शिविर में पानी, शौचालय, ठहरने की सुरक्षित जगह, खाने और आधारभूत चिकित्सीय देखभाल की सुविधा होनी चाहिए.
अधिकारी ने कहा कि प्रवासी राज्य के ‘आपले सरकार पोर्टल’ के माध्यम से ऑनलाइन पंजीकरण कराकर सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही परिवहन सुविधाओं का भी लाभ ले सकते हैं. उन्होंने बताया कि शिविरों में आने वाला खर्च राज्य आपदा कोष से लिया जाएगा. साथ ही बताया कि प्रत्येक तालुका ने राहत कार्यों के लिए इस कोष में 10 लाख से 20 लाख रुपये का अग्रिम दान दिया है.
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