जन्मदिन विशेष: कपूर खानदान में ऐसा काम करने वाले पहले शख्स थे शशि कपूर, जानें उनके जीवन से जुड़ी ये रोचक बातें
बॉलीवुड के सुप्रसिद्ध एक्टर शशि कपूर की आज 81 बिर्थ एनिवर्सरी है. इस खास मौके पर जानें उनके जीवन से जुड़ी ये रोचक बातें
शशि कपूर (Shashi Kapoor) की आज 81वीं बिर्थ एनिवर्सरी है. शशि बॉलीवुड के उन एक्टर्स में से हैं जिन्हें लोग न सिर्फ पसंद करते थे बल्कि उनके काम के चलते उनसे भरपूर प्रेम करते थे. बॉलीवुड के मशहूर कपूर खानदान से आनेवाले शशि का फिल्मी सफर भी कई उतार-चढ़ाव से गुजरा. करियर के शुरूआती दौर से लेकर बॉलीवुड के हैंडसम एक्टर बनने तक, उन्हें भी कई संघर्षों से गुजरना पड़ा.
18 मार्च, 1938 को जन्मे बलबीर राज कपूर उर्फ शशि कपूर ने 1994 में अपने करियर की शुरुआत पृथ्वी थिएटर के 'शकुंतला' नाटक से की थी. उन्होंने राज कपूर की पहली फिल्म 'आग' और तीसरी फिल्म 'आवारा' में उनके बचपन का किरदार निभाया था. इसके बाद उन्होंने फिल्म 'धर्मपुत्र' से बॉलीवुड में अपनी शुरुआत की.
इस फिल्म का निर्देशन यश चोपड़ा (Yash Chopra) ने किया था. आपको बता दें कि शशि, कपूर खानदान के पहले ऐसे शख्स थे जिन्होंने विदेशी महिला से शादी की थी. उनकी पत्नी का नाम जेनिफर कैंडल (Jennifer Kendal) था. 1957 में जब शशि ईस्ट एशिया की यात्रा के समय शेक्सपियराना थिएटर ग्रुप से जुड़े थे तब उनकी मुलाकात जेनिफर से हुई.
शशि और जेनिफर ने मिलकर 1978 में जुहू के पृथ्वी थिएटर की शुरुआत की. उन्होंने उस समय शेक्सपियर के पॉपुलर नाटक द टेम्पेस्ट' में मिरांडा का किरदार निभाया था और उसी दौरान जेनिफर और उनकी दोस्ती आगे बढ़ी और उन्हें प्यार हुआ.
शशि कपूर जब थिएटर एक्टिंग से जुड़े तो उनकी पहली तनख्वाह 75 रूपए थे. उस दौर में इस रकम को काफी ज्यादा मना जाता था.
शशि कपूर का रियल नेम बलबीर राज कपूर (Balbir Raj Kapoor) था लेकिन वो शशि नाम से जाने जाने लगे. ये नाम उन्हें उनकी मां ने दिया था. उनकी मां को उनका बलबीर राज कपूर नाम पसंद नहीं था. ये नाम उन्हें उनकी सौतेली दादी दिया था.
आपको बता दें कि भले ही शशि कपूर का निधन हुए अब समय बीत चूका है लेकिन पृथ्वी थिएटर आज न जाने कितने ही प्रतिभाशाली कलाकारों के लिए एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है, जहां उन्हें अपनी कला का भरपूर प्रदर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है. पिता पृथ्वीराज कपूर के नाम से शशि कुछ ऐसा करना चाहते थे जो लोगों के दिलों में बस जाए और साल दर साल लोगों को फायदा पहुंचाते रहे. मुंबई का ये पृथ्वी थिएटर (Prithvi Theatre) उनकी इसी सोच का नतीजा है.
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आज उनके जन्मदिन के मौके पर लोग उन्हें तहे दिल से याद कर रहे हैं और फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए उन्हें सलाम कर रहे हैं.