AIB ROAST CONTROVERSY: दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह, करण जौहर और अर्जुन कपूर को बॉम्बे हाई कोर्ट से मिली बड़ी राहत
शो एआईबी रोस्ट में अश्लीलता फैलाने को लेकर इसके प्रोड्यूसर्स और कलाकारों के खिलाफ 2015 में कोर्ट में केस दर्ज किया गया था
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एआईबी रोस्ट विवाद (AIB- All India Backchod Roast Controversy) मामले में दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone), रणवीर सिंह (Ranveer Singh), करण जौहर (Karan Johar) और अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor) को बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने इन एक्टर्स के खिलाफ चार्जशीट फाइल न करने की और इनके खिलाफ किसी भी सख्त कदम न लेने के अपने फैसले को बरकार रखा है. गुरुवार को इस केस की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये फैसला लिया और इनके खिलाफ मुंबई पुलिस (Mumbai Police) को किसी भी तरह का कार्रवाई न करने का हुक्म दिया.
आपको बता दें कि इन कलाकारों पर अश्लीलता फैलाने (Obscenity) का आरोप लगा है. साल 2015, फरवरी में इन एक्टर्स के खिलाफ दर्ज केस को लेकर इन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इन पर अश्लीलता का आरोप लगाते हुए भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 292 और 294 के तहत मामला दर्ज किया गया था.
2014 में रोस्ट के नाम से चैरिटी इवेंट आयोजित की गई थी. इसका आयोजन ऑल इंडिया बेकचोद ने किया था. इसका वीडियो इंटरनेट पर 2015 में अपलोड किया गया. लेकिन इसे लेकर मचे हंगामे के बाद इसे इंटरनेट से हटा दिया गया था.
फरवरी, 2015 में संतोष दौंडकर (Santosh Daundkar) नामक एक्टिविस्ट ने कोर्ट में शिकायत दर्ज करते हुए गुजारिश किया कि इस मामले में पुलिस को एआईबी शो के फाउंडर्स, प्रोड्यूसर्स और कलाकारों के खिलाफ एफआईआर फाइल करने के आदेश दिए जाएं.
इसके बाद एक मजिस्ट्रेट कोर्ट (Magistrate Court) ने 10 लोगों के खिलाफ एफआईआर के आदेश दिए थे. इनमें रणवीर, दीपिका, अर्जुन और करण समेत एआईबी के फाउंडर रोहन जोशी (Roshan Joshi) का नाम शामिल था. जिसके बाद इन सभी ने कोर्ट से मदद मांगते हुए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी.
एशियन ऐज की खबर के अनुसार, गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई के दौरान दौंडकर के वकील आदित्य प्रताप (Aditya Pratap) ने इस केस पर लगे स्टे को हटाने को मांग करते हुए कहा कि पुलिस को इस मामले की आगे की जांच करने के आदेश दिए जाए और एआईबी की टीम के खिलाफ चार्जशीट फाइल की जाए.
केस की सुनवाई कर रही बी.पी धर्माधिकारी (B.P. Dharmadhikari) और एस. वी कोटवाल (S.V. Kotwal) की डिवीजन बेंच ने स्टे की मांग को रद्द करते हुए कहा कि इसे पीआईएल (PIL) के रूप में फाइल किया जाए. कोर्ट ने कहा कि इस केस को लेकर हाई कोर्ट रजिस्ट्री डिपार्टमेंट योग्य सहकार्य करेगा और इस केस को उपयुत बेंच के सामने पेश करेगा.