Panga Movie Review: जिंदगी से 'पंगा' लेकर अधूरे सपनों को पूरा करने का प्रोत्साहन देती है कंगना रनौत की ये फिल्म 

कंगना रनौत की स्पोर्ट्स ड्रामा बेस्ड फिल्म 'पंगा' उस हफ्ते रिलीज होने जा रही है. फिल्म को देखने के लिए दर्शकों के बीच काफी उत्साह है और ऐसे में हम आपके लिए खासतौर पर इस फिल्म का रिव्यू लेकर आए हैं.

पंगा मूवी रेटिंग्स (Photo Credits: File Photo)

Panga Movie Review: बॉलीवुड की क्वीन कही जानेवाली कंगना रनौत (Kangana Ranaut) की 2020 की पहली फिल्म 'पंगा' इस हफ्ते रिलीज होने जा रही है. कबड्डी (Kabaddi) के खेल पर आधारित इस फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी उत्साह है और कंगना भी इसका जोरों शोरों से प्रचार करती नजर आ रही हैं. फिर चाहे वो रियलिटी शो हो या कोई न्यूज चैनल, कंगना अपनी इस फिल्म के प्रमोशन्स के दौरान भी अपने बेबाक अंदाज में दिखाई दे रही हैं. वैसे तो कंगना के काम की काफी सराहना की जाती है लेकिन क्या उनकी ये फिल्म दर्शकों का मनोरंजन करने और उनका दिल जीतने में कामयाब हो पाएगी? जानने के लिए पढ़ें हमारा ये रिव्यू-

फिल्म: पंगा

कास्ट: कंगना रनौत, जस्सी गिल, ऋचा चड्ढा, यज्ञ भसीन (बाल कलाकार) और नीना गुप्ता

निर्देशक: अश्विनी अय्यर तिवारी

कहानी: फिल्म 'पंगा' कहानी है कंगना रनौत के किरदार जया निगम नाम की एक ऐसी महिला जो कभी अंतरराष्ट्रीय कबड्डी प्लेयर रह चुकी है. जया ने अपने पति प्रशांत (जस्सी गिल) और बेटे आदित्य (यज्ञ भसीन) के लिए अपने सपनों का बलिदान देकर एक आम गृहिणी की तरह जीवन बिताना शुरू कर दिया था. कभी कबड्डी के मैदान में अपने दमखम के लिए मशहूर जया अब रेलवे कर्मचारी और साथ ही एक हाउसवाइफ के रूप में अपना जीवन बिता रही है. लेकिन कहीं न कहीं अब भी उसके भीतर अपने सपने के अधूरे रह जाने और कबड्डी ग्राउंड से दूर हो जाने का दुख समाया हुआ है इसका उसे हर पल एहसास भी होता है. फिल्म की कहानी ऐसा मोड़ लेती है जहां अपने बेटे आदित्य की जिद्द के कारण जया एक बार फिर कबड्डी ग्राउंड पर उतरती है. लेकिन जिंदगी के इस उम्र में कमबैक करना उनके लिए आसान नहीं और ऐसे में उन्हें और उनके परिवारवालों को काफी संघर्ष भी करना पड़ा.

खेल के प्रति जया की लगन और उनके परिवार के साथ ने उसे हर एक पड़ाव पर आगे बढ़ने में मदद किया और अंत में वो भारतीय महिला कबड्डी टीम के साथ मिलकर देश के लिए एशियाई कबड्डी टूर्नामेंट के विजेता का ताज लाने में सफल होती हैं. कबड्डी के खेल में जया के कमबैक और संघर्ष के दौरान उसकी इस गेम में उनकी पुराणी साथी मीनू (ऋचा चड्ढा) उनके काफी काम आती है और हर वक्त उनका हौंसला बढ़ाती है.  अपनी मेहनत और गेम के प्रति अपने लगाव के बलबूते जया जीत हासिल करके हर उस महिला के लिए उदाहरण पेश करती है जो किसी न किसी कारण अपने सपने को अधुरा छोड़ आई है.

अभिनय: हमेशा की तरह कंगना रनौत (Kangana Ranaut) ने अपने शानदार और दिलचस्प अंदाज से सभी को खूब हंसाया और साथ ही भावुक भी किया. कंगना के किरदार में जितनी चंचलता है उतने ही इमोशन्स भी हैं जिसे दर्शाने में वो पोरी तरह से कामयाब हुई हैं. इसके बाद बात करें जस्सी गिल (Jassi Gill) की तो यहां वो अपने हैंडसम हंक स्टाइल से हटकर एक पिता के रोल में एक काफी जचते हुए नजर आए. उनका किरदार एक समझदार, सब्र रखने वाला और साथ ही सहनशील व्यक्ति का है जो उन्होंने बखूबी निभाया है. यहां उनकी सादगी काफी खूबसूरत लगती है. फिल्म में बाल-कलाकार के रूप में नजर आ रहे यज्ञ भसीन (Yagya Bhasin) का किरदार सोच से ज्यादा दिलचस्प है. जिस तरह से वो फर्राटेदार अंदाज में अपने डायलॉग्स बोलते हैं और अपने एक्सप्रेशन्स को दर्शाते हैं, यकीनन उन्होंने सिनेमाघर में सभी का खूब ध्यान आकर्षित किया. इसके बाद बात करें ऋचा चड्ढा की तो यहां उनका किरदार काफी एंटरटेनिंग है. उनका अंदाज बिलकुल बिंदास और मनमौजी है जिसके चलते वो दर्शकों को खूब हंसाती भी नजर आती हैं. उनके डायलॉग्स और उनके एक्सप्रेशन्स काफी इम्प्रेसिव हैं.

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म्यूजिक: शंकर-एहसान-लॉय की म्यूजिकल तिकड़ी ने मिलकर इस फिल्म का म्यूजिक दिया है जोकि बेहद खूबसूरत है. फिल्म के लिए इमोशनल से लेकर प्रेरित करने योग्य कुछ इसे गानें क्रिएट किया गए हैं जो आपको बेहद पसंद आएंगे. इसी के साथ फिल्म में कबड्डी मैच के सीन्स हो या सेड सीन्स इसके म्यूजिक ने मजा दोगुना किया है.

फाइनल टेक: निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी (Ashwiny Iyer Tiwari) अक्सर ऐसी फिल्में पेश करती हैं जो लोगों की जिंदगी पर प्रभाव डाले और साथ ही उनके दिल को छुए. फिल्म 'पंगा' भी इस मापदंड पर पूरी तरह से खरी उतरती है. फिल्म की कहानी के माध्यम से मेकर्स हर उस महिला कमबैक करने का संदेश देते हैं जिन्होंने कभी अपने परिवार, रिश्तेदार या किसी न किसी कारण के चलते अपने सपनों को अधुरा छोड़ दिया है. फिल्म का फर्स्ट हाफ जया की पर्सनल लाइफ को दर्शाता है तो वहीं इंटरवल के बाद के सीन्स कबड्डी ग्राउंड पर उनके कमबैक और उनकी शानदार सफलता को दर्शाती है.

फिल्म की कहानी में एक सादगी महसूस होती है. इसमें इमोशन्स हैं और साथ ही अंत में कबड्डी टूर्नामेंट के सीन्स में रोमांच भी है जिसके चलते ये फिल्म न सिर्फ मनोरंजक बल्कि प्रभावपूर्ण बनकर उभरती है. हमारी राय में आपको भी ये फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए.

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