पुण्यतिथि विशेष: इन सदाबाहर गीतों के जरिए आज भी बरकार है मोहम्मद रफी की आवाज का जादू
मोहम्मद रफी ने अपनी गायकी से अपने फैंस के साथ ही बॉलीवुड के कई सारे संगीतकारों को संगीत की परिभाषा से अवगत कराया
31 जुलाई, 1980 का दिन संगीत की दुनिया के लिया बेहद दुखभरा दिन था जब गायक मोहम्मद रफी ने 55 साल की उम्र में अपनी अंतिम सांसे ली. आज उन्हें गए 38 वर्ष बीत चुके हैं. लेकिन आज भी उनके गाए हुए गीत और उनकी आवाज दर्शकों को मदहोश करती है. उन्होंने संगीत की दुनिया में अपनी आवाज की जादूगरी से न जाने कितनों को अपना मुरीद बनाया. यही वजह है कि वक्त और हालत बदलते गए लेकिन उनके गाए गाने आज भी संगीत प्रेमियों के लिए उतने ही मायने रखते हैं. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर हम आपके लिए उनके द्वारा गाए हुए कुछ ऐसे ही गीत लेकर आए हैं जो संगीत की दुनिया में बेहद अहम हैं.
'क्या हुआ तेरा वादा' (फिल्म- हम किसी से कम नहीं )
'तेरी गलियों में' (फिल्म - हवस)
'गुलाबी आंखें' (फिल्म- द ट्रेन)
'ये चांद सा रोशन चेहरा' (फिल्म- कश्मीर की कली)
'पत्थर के सनम' (फिल्म- पत्थर के सनम)
'बाबुल की दुआएं' (नील कमल)
'परदेसियों से ना अखियां मिलाना' (फिल्म -जब जब फूल खिले)
'अभी ना जाओ छोड़कर' (हम दोनों)
'आने से उसके आए बहार' (जीने की राह)
'तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे' (पगला कहीं का)
संगीत की दुनिया में मोहम्मद रफी का जो योगदान रहा है वो अतुलनीय है और यही कारण है की उनकी पुण्यतिथि के मौके पर देश ही नहीं विदेश में भी मौजूद उनके फैंस आज उन्हें याद कर रहे हैं.