Kaashi in Search of Ganga Movie Review: शरमन जोशी की इस फिल्म में नहीं है थ्रिल, बोरियत से भरी है फिल्म की कहानी
फिल्म काशी का पोस्टर (Photo Credits: Twitter)

फिल्म: काशी इन सर्च ऑफ गंगा

निर्देशक: धीरज कुमार

कलाकार: शरमन जोशी, ऐश्वर्या देवन, गोविंद नामदेव, परितोष त्रिपाठी, मनोज जोशी, क्रांति प्रकाश झा और प्रियंका सिंह.

कहानी: जैसा कि फिल्म का टाइटल है, इस सस्पेंस थ्रिलर मूवी की स्टोरी को काशी (बनारस ) में सेट किया गया है. फिल्म में काशी नामके व्यक्ति का लीड रोल निभा रहे शरमन  जोशी एक लोअर मिडिल क्लास परिवार से आते हैं. इसी के साथ फिल्म में बताया गया कि ऐश्वर्या देवन एक पत्रकार है जो लखनऊ से बनारस किसी उद्देश्य से आई हुई हैं. एक दिन काशी की बहन अचानक खो जाती है जिसके चलते वो बेहद परेशान हो जाता है. वो ऐश्वर्या के साथ मिलकर उसे ढूंढने में जुट जाता है. इसी दौरान अपनी बहन को वापसी लाने के लिए परेशान काशी कानून को अपने हाथ में लेने से भी नहीं घबराता. मेकर्स ने इस फिल्म की कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न जोड़े हैं लेकिन इसमें कई कमियां हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ काशी की जिंदगी से आपको रूबरू कराएगा वहीं फिल्म का सेकंड हाफ आपको कंफ्यूज कर देगा.

अभिनय: इस फिल्म में शरमन जोशी, मनोज जोशी, गोविंद नामदेव जैसे मंझे हुए कलाकार हैं जिन्होंने अक्सर अपनी एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीता है. लेकिन इस फिल्म में ये सभी हमें निराश करते हुए नजर आ रहे हैं. शरमन जोशी ने भले ही अपना बेहतरीन अभिनय देने की पूरी कोशिश की है लेकिन उनसे इससे बेहतर काम की उम्मीद थी. इसी के साथ कहीं न कहीं फिल्म के सपोर्टिंग कास्ट के काम में भी आपको ओवर एक्टिंग की झलक देखने को मिलेगी. फिल्म में लीड रोल में नजर आ रही ऐश्वर्या देवन के एक्सप्रेशन में भी भी कमी नजर आती है. फिल्म में गोविंद नामदेव के क्रोश से भरे डायलॉग्स में भी आपको वो दमखम देखने को नहीं मिलेगा जो आमतौर पर हमें उनकी फिल्मों में देखने को मिलता है.

म्यूजिक: फिल्म की खास बात है इसका म्यूजिक. फिल्म की कहानी और एक्टिंग में भले ही हमें उतना मजा नहीं आया होगा लेकिन फिल्म का म्यूजिक बढ़िया है. फिल्म में रोमांटिक और सेड, दोनों ही प्रकार एक गाने मौजूद हैं और ये सुनने में काफी अच्छे हैं.

फिल्म की खूबियां: फिल्म का म्यूजिक और इसका लोकेशन ही हमें इसकी खूबी नजर आती है. इनके चलते फिल्म देखने में आपका मन भी लगेगा. बनारस का लोकेशन आपको इस फिल्म को देखने के लिए रोके रखेगा.

फिल्म की खामियां: फिल्म की कहानी काफी स्लो है. इसी के साथ एक्टर्स के काम में भी आपको उतना मजा नहीं आएगा. सस्पेंस थ्रिलर फिल्म होने के नाते हमें इस फिल्म से काफी उम्मीदें थी लेकिन जिस तरह से इसकी स्टोरी सेटिंग की गई है, ये आपको कंफ्यूज और इरीटेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी.

कुलमिलाकर बात की जाए तो इस फिल्म को देखने के बाद शायद आपको सर दर्द की दवाई भी लेनी पड़ जाए. फिल्म की कहानी मनमाने ढंग से चलती जा रही है और ये चीज आपको लगातार कंफ्यूज करती जाएगी. फिल्म में सरप्राइज एलिमेंट जैसा कुछ भी नहीं है. पाठकों को हम यही सलाह देंगे कि इस फिल्म को देखने के लिए थिएटर जाने से बेहतर आप घर पर आराम करना ही पसंद करें.

 

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