मुस्लिम समाज में तीन तलाक एक ऐसी प्रथा है, जिसके ज़रिए कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को 'तलाक-तलाक-तलाक' बोलकर हमेशा के लिए छोड़ सकता है. तलाक का यह तरीका पुरुष मौखिक और लिखित अथवा सोशल मीडिया के माध्यमों से भी अपना सकता है. इसके लिए उसे किसी ठोस वजह बताने की जरूरत नहीं होती. इस कुप्रथा का एक पहलू यह भी है कि अगर तलाकशुदा महिला को परिस्थितिवश दोबारा उसी पति के साथ रहना हो तो उसे पहले किसी पर पुरुष से निकाह करना पड़ेगा.
तीन तलाक से मुस्लिम समाज की महिलाओं पर अचानक पड़ रहे गहरे असर को निर्देशिका अलीना खान (Aleena Khan) ने अपनी फिल्म 'कोड ब्लू' (Code Blue) में रेखांकित किया है. अलीना अपनी इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर बर्लिन फिल्मोत्सव में कर रही हैं.
निर्देशक अलीना खान का कहना है कि यह फिल्म नारीत्व के संघर्ष की कहानी है. 'कोड ब्लू' एक जान बचाने वाला आपातकालीन कोड है और फिल्म में एक लड़की की कहानी दर्शाई गई है. इस लड़की की कहानी सच्ची घटना से प्रेरित है. लड़की को समाज की कुरीतियों का शिकार होते हुए दर्शाया गया है और किस प्रकार वह मजबूत होकर वापसी कर उन कुरीतियों का सामना करती है.
पेशे से चिकित्सक अलीना खान बताती हैं, दरअसल हमारे पितृसत्तात्मक समाज में उस महिला को आत्म सम्मान के साथ जीना आसान नहीं है, जो इस तरह की ट्रेजिडी का शिकार बनती हैं, खासकर तब जब वह अशिक्षित होती है, उसे अपना भविष्य किसी अंधेरी कोठरी जैसा लगता है. वह कहां रहेगी, क्या खायेगी पीयेगी. अकसर इस तरह की महिलाओं को जिंदगी से समझौता करना पड़ता है. मगर मैं चाहती हूं कि ऐसी महिलाएं स्वावलंबी बनें. अपने पैरों पर खड़ी हों. अपने लिए संघर्ष करें. मुझे पूरी उम्मीद है कि मेरी यह फिल्म 'कोड ब्लू' ऐसी लाखों महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए प्रेरित करेगी.
इस गंभीर विषय पर फिल्म बनाने की प्रेरणा अलीना को कहां से मिली? जवाब में वह कहती हैं, मैं एक चिकित्सक भी हूं तो इस तरह की महिलाओं से मेरा अकसर आमना-सामना होता है. एक बार एक गर्भवती महिला मेरे पास आयी, उसके पति ने बेवजह उसे तलाक दे दिया था. मुझे हैरानी हुई कि किसी भी पुरुष को किसी भी धर्म में गर्भवती पत्नी को तलाक देने का अधिकार नहीं है. मैंने देखा कि तलाक देने के बाद पत्नी जहां पीड़ा झेल रही है, उसका पति आराम से घूम रहा है, अफसोस इस बात का भी है कि उसे धार्मिक प्रतिनिधियों की पूरी शह मिल रही है.’ अलीना बताती हैं कि इस पीड़ा का दंश वह खुद भी झेल चुकी हूं. मुझे लगता है कि ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं का दर्द समझने और दुनिया के सामने लाने के लिए फिल्म से बढ़िया और कोई माध्यम नहीं. आज ऐसी हर मुस्लिम महिलाएं अपने लिए एक सुरक्षित और सुखद भविष्य चाहती है. तीन तलाक गैरकानूनी होने के बावजूद यह कुप्रथा आज भी फलफूल रही है. हम चाहेंगे कि इसे अपराध की श्रेणी में लाया जाए. अलीना स्वीकारती हैं कि ‘कोड ब्लू’ उनके लिए एक सामाजिक मिशन पूरा करने जैसा था, इसके लिए उन्हें अपने मेडिकल के पेशे को ब्रेक देना पड़ा.
ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे इस्लामिक कंट्रीज में तीन तलाक वैध नहीं है, जबकि कानून होने के बावजूद दुनिया के एक तिहाई मुस्लिम आबादी वाले भारत में यह प्रथा अब भी फलफूल रही है. अलीना कहती हैं, "मेरे लिए इस विषय पर फ़िल्म बनाना इतना आसान नहीं था. मुझे कदम-कदम पर विरोध का सामना करना पड़ा. मगर चूंकि मेरे परिवार के सभी सदस्यों ने मेरा साथ दिया,इसलिए मैं आज फिल्म रिलीज करने की स्थिति में हूं."
राहत काजमी प्रोडक्शन के बैनर तले निर्मित 'कोड ब्लू' के मुख्य कलाकार हैं आलोकनाथ, ऋषि भूटानी, सुष्मिता मुखर्जी और खुद अलीना खान.