पीएम मोदी को खुला पत्र लिखने वालों पर मामला दर्ज करने की सांस्कृतिक समुदाय ने आलोचना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाली 49 शख्सियतों के खिलाफ प्राथामिकी दर्ज किए जाने की निंदा करते हुए सांस्कृतिक समुदाय के 180 से अधिक सदस्यों ने पूछा है कि प्रधानमंत्री को खुला खत लिखने को ‘‘ राजद्रोह की गतिविधि ’’ कैसे मान लिया गया. निंदा करने वालों में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, सिनेमेटोग्राफर आनंद प्रधान, इतिहासकार रोमिला थापर और कार्यकर्ता हर्ष मंदर भी शामिल हैं.
मुंबई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखने वाली 49 शख्सियतों के खिलाफ प्राथामिकी दर्ज किए जाने की निंदा करते हुए सांस्कृतिक समुदाय के 180 से अधिक सदस्यों ने पूछा है कि प्रधानमंत्री को खुला खत लिखने को ‘‘ राजद्रोह की गतिविधि ’’ कैसे मान लिया गया. निंदा करने वालों में अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, सिनेमेटोग्राफर आनंद प्रधान, इतिहासकार रोमिला थापर और कार्यकर्ता हर्ष मंदर भी शामिल हैं.
निर्देशक अपर्णा सेन, अदूर गोपालकृष्णन और लेखक रामचंद्र गुहा समेत अन्य ने जुलाई में प्रधानमंत्री को खत लिख मॉब लिंचिंग (पीट-पीटकर हत्या) की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताई थी. खत लिखने वालों के खिलाफ पिछले हफ्ते बिहार के मुजफ्फरपुर में कथित राजद्रोह को लेकर प्राथमिकी दर्ज की गई थी. सोमवार, सात अक्टूबर को जारी एक नए पत्र में जानीमानी शख्सियतों ने सवाल किया है कि प्रधानमंत्री को खुला खत लिखना किस तरह से राजद्रोह की गतिविधि मान लिया गया. यह भी पढ़े-मॉब लिंचिंग: वकील सुधीर ओझा ने कोंकणा सेन और अनुराग कश्यप समेत 49 लोगों के खिलाफ दर्ज कराया केस, 3 अगस्त को होगी सुनवाई
पत्र के मुताबिक, ‘‘ सांस्कृतिक समुदाय के हमारे 49 साथियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, केवल इसलिए क्योंकि उन्होंने नागरिक समाज का सम्मानित सदस्य होने की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने देश में मॉब लिंचिंग को लेकर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री को खुला खत लिखा था. ’’इसमें कहा गया, ‘‘ क्या इसे राजद्रोह की गतिविधि कहा जा सकता है? या नागरिकों की आवाज बंद करने के लिए अदालतों का दुरुपयोग कर उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है.’’
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लेखक अशोक वाजपेयी, जैरी पिंटो, शिक्षाविद इरा भास्कर, कवि जीत थायिल, लेखक शम्सुल इस्लाम, संगीतकार टीएम कृष्ण और फिल्मकार-कार्यकर्ता सबा दीवान समेत अन्य ने प्रतिज्ञा की कि जनता की आवाज बंद करने के विरोध में वह मुंह खोलेंगे. उन्होंने पहले पत्र के प्रति भी समर्थन जताया.
प्राथमिकी तीन अक्टूबर को भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत दर्ज की गई. इसमें राजद्रोह, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना, लोक कार्य में बाधा पहुंचाना, शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना समेत कई धाराएं शामिल हैं.