Satyamev Jayate Review : करप्शन के खिलाफ इस लड़ाई को दिया गया है मसालेदार टच, प्रभावित करने में असफल रही है जॉन अब्राहम की यह फिल्म

फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे इसे सिर्फ सिंगल स्क्रीन के दर्शकों के लिए ही बनाया गया है. निश्चित तौर पर यह फिल्म सिर्फ एक मसाला एंटरटेनर है.

फिल्म 'सत्यमेव जयते' का रिव्यू

भ्रष्टाचार एक ऐसा मुद्दा है जिसकी चर्चा भारत के हर घर में आए दिन होती है और जॉन अब्राहम की फिल्म 'सत्यमेव जयते' की कहानी भी इसी विषय पर आधारित है. इस फिल्म की रिलीज के लिए स्वतंत्रता दिवस के दिन को चुना गया है पर शायद इस खास अवसर पर आप एक बेहतर फिल्म देखना चाहेंगे. फिल्म देखने के बाद ऐसा लगता है जैसे इसे सिर्फ सिंगल स्क्रीन के दर्शकों के लिए ही बनाया गया है. निश्चित तौर पर यह फिल्म सिर्फ एक मसाला एंटरटेनर है. फिल्म के कुछ दृश्यों को और गंभीरता के साथ दिखाए जाने की जरुरत थी. ऐसा भी हो सकता है कि फिल्म देखते वक्त कुछ इमोशनल सीन्स पर आप अपने आस पास बैठे दर्शकों को हंसते हुए देखें.

कहानी : फिल्म की शुरुआत काफी दमदार होती है. वीर (जॉन अब्राहम) एक करप्ट पुलिस ऑफिसर का मर्डर करते हुए नजर आते हैं. वीर का मकसद सिर्फ यह है कि करप्ट पुलिस अफसरों को खाकी वर्दी पहनने का हक नहीं दिया जाना चाहिए. शिखा (आयशा शर्मा) को भी एक देशभक्त के रूप में दिखाया जाता है. फिल्म में उनका पहला सीन आपको काफी इम्प्रेस कर सकता है. मुंबई में एक के बाद एक पुलिस ऑफिसर्स को वीर मारता चला जाता है. केस को हल करने के लिए डीसीपी शिवांश (मनोज बाजपेयी) को बुलाया जाता है. डीसीपी शिवांश कातिल को पकड़ने में जुट जाते हैं. फिल्म के पहले हाफ को एक बहुत ही रोचक मोड़ पर छोड़ा जाता है, जिससे दूसरे हाफ के लिए उत्सुकता बढ़ जाती है. दूसरे हाफ में उस वजह के बारे में बताया जाता है जिसकी वजह से वीर भ्रष्ट पुलिस अफसरों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है. 'सत्यमेव जयते' के कुछ डायलॉग्स काफी दमदार हैं.

अभिनय : जॉन अब्राहम के इंटेंस सीन्स आपको प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. आयशा शर्मा इस फिल्म से अपना बॉलीवुड डेब्यू कर रही हैं और उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है. पहली बार मनोज बाजपेयी शायद आपको निराश करेंगे पर इसमें भी उन्हें कसूरवार ठहराना सही नहीं होगा. निर्देशेक मिलाप मिलन जावेरी मनोज बाजपेयी के टैलेंट का और अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर सकते थे.

निर्देशन : - इस फिल्म का मुद्दा बहुत ही गंभीर है और इसे उतनी गंभीरता के साथ ही बड़े पर्दे पर दिखाए जाने की जरुरत थी पर निर्देशक मिलाप मिलन जावेरी इसमें असफल रहे हैं. हालांकि फिल्म के माहोल को थोड़ा लाइट बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए कॉमिक डायलॉगस अच्छे हैं. लेकिन अगर किसी सीरियस सीन पर भी हंसी आने लगे, तो इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि फिल्म कैसी है.

म्यूजिक : - नोरा फतेही का आइटम नंबर 'दिलबर दिलबर' पहले ही दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब रहा है. बड़े पर्द पर नोरा का बेली डांस और भी शानदार लगता है. इसके अलावा फिल्म के और गाने भी काफी अच्छे हैं. आतिफ असलम और तुलसी कुमार द्वारा गाया गया गीत 'पानियों सा' आपके दिलों को जीतने में सफल होगा.

फिल्म की खूबियां : -

1. जॉन के इंटेंस सीन्स

2. फिल्म के एक्शन सीक्वेस्स

3. पहले हाफ के अंत में दिया गया रोचक मोड़

फिल्म की खामियां : -

1. कमजोर निर्देशन

2. गंभीर मुद्दे को साधारण रूप से दिखाना

कितने स्टार्स ?

जॉन अब्राहम की फिल्म 'सत्यमेव जयते' सिंगल स्क्रीन ऑडियंस को पसंद आ सकती है पर अधिकतर दर्शक मिलाप मिलन जावेरी के इस प्रयास से निराश होंगे. इस फिल्म को हम 2 स्टार्स देना चाहेंगे.

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