जावेद अख़्तर जन्मदिन विशेष: दीवार, शोले जैसी फिल्मों से लेकर आफ़रीन आफ़रीन और एक लड़की को देखा जैसे गीत लिखने वाले हरफनमौला लेखक आज मना रहे हैं 74th बर्थडे
आज मशहूर शायर, गीतकार, पटकथा लेखक और ज़िन्दगी को खुल कर जीने वाले लेखक जावेद अख़्तर का जन्मदिन है. 'जादू' के नाम से भी जाने जाने वाले जावेद साहब, 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पैदा हुए थे.
Javed Akhtar Birthday: आज मशहूर शायर, गीतकार, पटकथा लेखक और ज़िन्दगी को खुल कर जीने वाले लेखक जावेद अख़्तर का जन्मदिन है. 'जादू' के नाम से भी जाने जाने वाले जावेद साहब, 17 जनवरी 1945 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पैदा हुए थे. जावेद साहब उन चंद कवि या शायरों में शुमार हैं जो भाषा की मर्यादा बना रखने के साथ ही अपनी लेखनी में हमेशा समकालीन घटनाओं और चीज़ो को समाते हैं. जावेद अख्तर के पिता जाँ निसार अख़्तर भी उर्दू शायरी में अपना एक अलग मकाम रखते हैं और उनके मामा मजाज़ को तो उर्दू शायरी का कीट्स (प्रसिद्ध अंग्रेजी कवि) कहा जाता था. मशहूर अभिनेत्री शबाना आज़मी उनकी जीवन साथी हैं और अभिनेता/डायरेक्टर फरहान अख़्तर और ज़ोया अख़्तर उनकी बेटी.
जावेद साहब के हुनर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की सुरुवात एक पटकथा लेखक के तौर पे की. सलीम खान के साथ मिलकर, जो सुपरस्टार सलमान खान के पिता हैं, सलीम जावेद की मशहूर जोड़ी बनायीं. इस जोड़ी ने भारतीय सिनेमा को हाथी मेरे साथी, सीता गीता, यादों की बारात, ज़ंजीर, दीवार, शोले, डॉन और कई ऐसी शानदार फिल्में दी.
जावेद साहब एक ऐसी शख़्शियत हैं जिनके व्यक्तित्व और हुनर को किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं रखा जा सकता. कभी वह नज़्म से लोगों के दिलों को जीततें हैं, तो कभी उनके लिखे गीत दिल को राहत पहुंचाते हैं. उनके गीतों पे गौर करें, तो आप पाएंगे की वह ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा भी पेश करते हैं. जावेद साहब को पाँच बार उनके गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ गीतकार के नेशनल अवार्ड से नवाज़ा गया है. उन्हें ये पुरस्कार फिल्म साज़, बॉर्डर, गॉडमदर, रिफ्यूजी, और लगान जैसी फिल्मों के लिए मिला.
जावेद अख्तर को कहानी, डायलॉग और गीतकारी के लिए 13 बार फ़िल्मफ़ेयर (Filmfare) अवार्ड मिला है. उन्हें मिर्ची म्यूजिक (Mirchi Music) अवार्ड द्वारा लाइफटाइम अवार्ड का भी सम्मान मिल चूका है. एक बेहतरीन शायर होने के साथ साथ जावेद साहब का अंदाज़े बयां भी कमाल का है. लेकिन यदि आप समझते हैं की उनकी दुनिया सिर्फ लेखन में ही सिमटी हुई है, तो शायद आप उनके राज्य सभा में सांसद के कार्यकाल को नहीं जानते. जावेद साहब ने साल 2010 से लेकर मार्च 2016 तक राज्य सभा में कला के क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने अपने कार्यकाल में कॉपीराइट, रॉयल्टी और भी कई अहम मुद्दे उठाये और पुरे जोश और जूनून के साथ अपनी बात रखी. जावेद साहब एक बुद्धिजीवी (intellectual) भी हैं जो बिना लाग लपेट के अपनी बात सुनने वालों के सामने रखते हैं.
जावेद साहब की कुछ प्रमुख किताबों के नाम हैं- तरकश, लावा, सिनेमा के बारे में, और अन्य कई और बेहतरीन किताबें. जहाँ तक बात रही उनकी नज़्म और ग़ज़लों की, तो दर्द अपनाता है पराए कौन, हर ख़ुशी में कोई कमी सी है, जाते जाते वो मुझे, कभी यूँ भी तो हो, मैनें दिल से कहा, मिसाल इसकी कहाँ है, तमन्ना फिर मचल जाए, क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा, भूख, इक पल गमों का दरिया, वक़्त, शबाना और कई ऐसी बेहतरीन कृतियाँ शामिल हैं. जावेद साहब समकालीन विषयों पर अपनी राय रखते हैं और उन्हें व्यक्त करने से भी नहीं इतराते। हम जावेद साहब को जन्मदिन की खूब सारी बधाइयाँ देते हैं और उम्मीद करते हैं की ये कलम के सिपाही इसी तरह साहित्य और अदब की सेवा में मगन रहेंगे.