Guthlee Ladoo Movie Review: जातिवाद और शिक्षा के अधिकार पर एक मजबूत संदेश देती है संजय मिश्रा स्टारर फिल्म 'गुठली लड्डू', मासूम बच्चे की कहानी कर देगी भावुक!

संजय मिश्रा की 'गुठली लड्डू' एक दलित बच्चे की शिक्षा की लड़ाई की कहानी है. इस दलित बच्चे के माध्यम से फिल्म के डायरेक्टर ने समाज को एक आइना दिखाने की कोशिश की है, जिसमें वे सफल रहे हैं. फिल्म 13 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

Sanjay Mishra (Photo Credits: Instagram)
Guthlee Ladoo Movie Review: कई बार हम शहरोंं को ही हमारा देश समझ लेते हैं, पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए की देश की 70 फीसदी आबादी गांव में ही रहती है. और जब तक हमारे गांव हमारे साथ कदम-ताल मिलाकर नहीं चलते तब तक हम पूर्णरूपेण विकसित नहीं हैं. शिक्षा कहने के लिए हर किसी का मौलिक अधिकार है, पर यह आज भी हर किसी को नसीब नहीं होती. इसमें भी समाज के ठेकेदार और जाति व्यवस्था एक अहम रोल पैदा करती है. कुछ इसी तरह के मुद्दे पर बेस्ड है संजय मिश्रा स्टारर फिल्म 'गुठली लड्डू'. फिल्म में जातिवाद और शिक्षा के अधिकार को उठाकर डायरेक्टर इशरत आर खान ने इस फिल्म को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया है. फिल्म को पहले ही कई सारे अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है. Mission Raniganj Review:अक्षय कुमार की पावरफुल परफॉर्मेंस और दमदार थ्रिलिंग सीन्स से सजी है 'मिशन रानीगंज'!
फिल्म की कहानी एक मासूम बच्चे की है, जिसका नाम है गुठली, जिसे पढ़ने का बेहद शौख है, पर इस गांव में तो उसे ही शिक्षा का अधिकार मिला हुआ जो बड़ी जाति में पैदा हुआ हो. छोटी जाति के लोगों के हिस्से में तो गटर साफ करना, लोगों के घरों की गंदगी साफ करना और स्कूल की गंदगी साफ करना लिखा है. ऊपर से इन्हें दलित, मेहतर और भंगी जैसे अपमानित करने वाले शब्दों से बुलाया जाता है. इनको छूने पर लोग नहाते हैं. इसी माहौल में पला-बढ़ा है गुठली. पर वह इस सबसे दूर वह बस पढ़ना चाहता है. वह स्कूल के बाहर खिड़की पर खड़े होकर मास्टर द्वारा बताए गए ज्ञान को लेता है. बाकी स्कूल के बच्चो को जिन सवालों के जवाब नहीं आते, वे गुठली को आते हैं. पर उसे स्कूल में एडमिशन कैसे मिले? क्योंकि वह तो एक दलित का बच्चा है. इसके अलावा फिल्म में कई सारे ऐसे दृश्य हैं जो आपको सोचने पर मजबूर करते हैं. यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म में संजय मिश्रा ने एक स्कूल के प्रिंसपल का किरदार निभाया है, उनकी अदाकारी इतनी नैचुरल है कि आपका दिल जीत लेगी. वहीं गुठली फिल्म की जान है, जिसकी मासूमियत आपको कहानी में डुबो देगी. साथ ही सुब्रत दत्ता ने अपने किरदार में जान छोक दी है. उनका दर्द आपको उनकी आंखों में दिख जाएगा. इसके अलावा सभी कलाकारों ने फिल्म को आगे बढ़ाने में मदद की है.
इशरत आर खान ने फिल्म को डायरेक्ट किया है, उनका काम तारीफ के काबिल है. उन्होंने एक बड़े और जरूरी मुद्दे को एक फिल्म के रूप में पिरोया और दर्शकों के सामने पेश किया. फिल्म का म्यूजिक जरूरत के अनुसार अनुकूल है. साथ ही फिल्म वुजुअली भी काफी मजबूत है. अगर में यहां पर बात करूं सुधार की तो फिल्म के क्लाइमैक्स को थोड़ा और एंगेजिंग और मजबूत बनाया जा सकता था. बावजूद इसके फिल्म की कहानी की सहजता आपका दिल जीतती है.
फिल्म 13 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. मैं कहना चाहूंगा कि इस फिल्म में आपको मसाला नहीं, सच्चाई देखने मिलेगी. इस तरह की फिल्म को अपनाने की जरूरत है. तभी हम समाज में जरूरी बदलाव और हर किसी के हक की शिक्षा उन तक पहुंचा सकते हैं. यह एक मस्ट वॉच फिल्म है, इसे आप सिनेमाघरों में जरूर देखें.
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