महिलाओं के प्रति द्वेष के लिए फिल्मों को दोष देना सही नहीं: नटखट निर्देशक शान व्यास
हिंदी फिल्मों को अक्सर स्त्री द्वेष और विषाक्त मर्दानगी फैलाने के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसका एक ताजा उदाहरण 'कबीर सिंह' है. निर्देशक शान व्यास, जिनकी नई लघु फिल्म 'नटखट' लैंगिक असमानता और पितृसत्ता की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमती है, उनका कहना है कि नकारात्मकता फैलाने के लिए सिर्फ फिल्मों को दोष देना पूरी तरह से सही नहीं है.
हिंदी फिल्मों को अक्सर स्त्री द्वेष और विषाक्त मर्दानगी फैलाने के लिए दोषी ठहराया गया है, जिसका एक ताजा उदाहरण 'कबीर सिंह' है. निर्देशक शान व्यास (Shaan Vyas), जिनकी नई लघु फिल्म 'नटखट' (Natkhat) लैंगिक असमानता और पितृसत्ता की अवधारणा के इर्द-गिर्द घूमती है, उनका कहना है कि नकारात्मकता फैलाने के लिए सिर्फ फिल्मों को दोष देना पूरी तरह से सही नहीं है.
व्यास ने आईएएनएस को बताया, "सिर्फ फिल्मों को दोष देना पूरी तरह से सही नहीं है, क्योंकि विश्वास प्रणाली अलगाव में नहीं बनती है. लेकिन फिल्मकार के रूप में हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि हम अपनी फिल्मों में जो स्त्री द्वेष और पितृसत्ता का महिमामंडन करते हैं, वह युवा दिमाग पर काफी प्रभाव डालते हैं, और इसकी जिम्मेदारी हमें लेने की जरूरत है." यह भी पढ़े: लैंगिक समानता पर फिल्म लिखने के लिए महिलाओं का नजरिया चाहिए :’नटखट’ के निर्देशक
उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा फिल्म और जो हम फिल्मों में दिखाते हैं, वह भी कहीं न कहीं समाज को दशार्ती है, इसलिए यह सिर्फ एक प्रभाव नहीं है, बल्कि कई बार दर्पण भी होता है. "व्यास की हाल ही में रिलीज 'नटखट' को एक जेंडर इक्वल क्रू टीम के साथ मिलकर बनाया गया है, जिसमें विद्या बालन, बाल कलाकार सानिका पटेल और लेखक अन्नुकम्पा हर्ष जैसे लोग शामिल हैं. आज की फिल्मों में महिला कलाकारों को ध्यान में रखकर फिल्में बनाई जाती हैं और कई फिल्में महिला प्रधान भी होती हैं, जैसा कि अतीत में नहीं होता था और बॉलीवुड में तो आमतौर पर मर्दानगी का महिमामंडन किया जाता था. यह भी पढ़े: विद्या बालन ने रिलीज की अपनी शॉर्ट फिल्म ‘नटखट’ का फर्स्ट लुक, इस नए लुक में आईं नजर
उन्होंने कहा, "यह महत्वपूर्ण है और यह समाज में हो रहे बदलाव पर प्रकाश डालता है. परंपरागत रूप से हमारी फिल्में मर्दानगी पर अधिक चलती थीं, इसकी वजह यह थी कि हमारे टिकट लेने वाले दर्शक मुख्य रूप से पुरुष होते थे. हालांकि दर्शक अब बेहतर कहानियां, अधिक कंटेंट और कम तमाशा चाहते हैं. मुझे लगता है कि इसकी वजह से बदलाव हुआ है." 'नटखट' की कहानी एक मां के चारों ओर घूमती है जो अपने बेटे को लिंग समानता के बारे में शिक्षित करती है. फिल्म रोनी स्क्रूवाला के साथ विद्या बालन द्वारा सह-निर्मित है.