12th Fail Movie Review: जीरो से हीरो बनने का हौसला देती है '12वीं फेल', विक्रांत मैसी की दमदार अदाकारी और IPS मनोज कुमार की प्रेरणात्मक कहानी फिल्म को बनाती है मस्ट वॉच!
Vikrant Massey (Photo Credits: Instagram)

12th Fail Movie Review: यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि एक 12वीं फेल इंसान आईपीएस ऑफिसर कैसे बन सकता है? न टूटने वाला जज्बा और कभी न डिगने वाली ईमानदारी अगर आपके साथ है तो सबकुछ संभव हो सकता है. यही कहानी है विक्रांत मैसी स्टारर फिल्म 12वीं फेल की. फिल्म आईपीएस मनोज कुमार शर्मा पर बेस्ड है.फिल्म के राइटर व डायरेक्टर विधु विनोद चोपड़ा ने इस फिल्म को साढ़े चार साल का वक्त दिया है, जो फिल्म में झलकता है. फिल्म को काफी डिटेलिंग के साथ पेश किया गया है. Exclusive: Vikrant Massey हो चुके हैं करप्शन का शिकार, हालिया इंटरव्यू में एक्टर ने किया बड़ा खुलासा!

मनोज कुमार शर्मा (विक्रांत मैसी) मध्य प्रदेश स्थित जिला चंबल के छोटे से गांव बिलगांव से ताल्लुख रखते हैं. परिवार की हालत काफी नाजुक है, जिसका श्रेय जाता है मनोज के पिता को, उनकी ईमानदारी का अवॉर्ड उन्हें बर्खास्तगी के रूप में मिलता है. मनोज की रगों में भी अपने पिता की ईमानदारी का खून दौड़ता है और एक बार 12वीं में फेल हो जाने के बाद भी वह बिना चीटिंग किए थर्ड डिवीजन से 12वीं पास हो जाता है. 12वीं में पास होने रा श्रेय जाता है इंस्पेक्टर दुष्यंत सिंह (प्रियांंशू चैटर्जी) को, जिससे प्रभावित होकर मनोज ने पुलिस ऑफिसर बनने का निश्चय किया. इस यात्रा में मदद की मनोज की दादी ने अपनी पेंशन का पैसा जमा कर उसने अपने पोते को सौंप दिया. मनोज कुमार ग्वालियर के लिए रवाना होते हैं मन में वर्दीवाला बनने के सपने लेकर. पर इस बीच ऐसा कुछ घटता है कि मनोज सड़क पर आ जाता है. पर मनोज का जज्बा इतना तगड़ा था कि उससे दिल्ली करोल बाग लेकर चले जाता है और यहां से शुरु होता है आईपीएस बनने का असली संघर्ष.

विक्रांत मैसी फिल्म की जान हैं, उन्होंने अपनी मासूमियत भरी मुस्कान और सरल स्वभाव से मनोज कुमार शर्मा को स्क्रीन के सामने लाकर रख दिया है. हालांकि बीच बीच में आपको उनपर सुपर 30 के ऋतिक रोसन की छाया भी देखने मिलेगी, पर वह अच्छा ही लगता है. साथ ही उनकी लव इंट्रेस्ट श्रद्धा का किरदार मेधा शंकर ने निभाया है, जो अपने किरदार में फिट बैठी हैं. इसी के साथ प्रियांशू चैटर्जी अपने छोटे से स्क्रीन प्रेजेंस के साथ बड़ा इम्पैक्ट छोड़ते हैं. वहीं अनुष्मान पुष्कर और अनंत जोशी को भी फिल्म को आगे ले जाने का पूरा पूरा श्रेय जाता है.

विधु विनोद चोपड़ा ने इस प्रोजेक्ट को लगभग 4.5 साल का वक्त दिया है, जो फिल्म देखने के बाद आपको न्याय संगत लगेगा. फिल्म को शुरु से लेकर आखिर तक मुद्दे पर ही केंद्रित रखा गया है, फिल्म में आपको बेवजह के गाना या ड्रामा देखने नहीं मिलेगा. फिल्म में आपको इमानदारी, अपने सपने के लिए तगड़ा जज्बा दिखेगा जो आपको काफी प्रेरित करने वाला है.

फिल्म में अगर खामियों की बात करूं तो इसे थोड़ा और छोटा किया जा सकता था. इसके अलावा फिल्म को विजुअली और भी बेहतर किया जा सकता ता. बावजूद इसके फिल्म आपको एंटरटेन करने के साथ साथ प्रेरित भी करने वाली है. क्लाइमैक्स तो हर हाल में आपको भावुक कर देने वाला है. क्लाइमैक्स के वक्त क्रिटिक्स के भी आंसू निकल रहे थे, तो आप कौन से अलग गोला से आए हैं भैया. इस फिल्म को मेरी तरफ से 5 में से 3.5 स्टार.