दिनों दिन बढ़ रहे वायु प्रदूषण से बढ़ते खतरे को देखते हुए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को लेकर काफी ध्यान दिया जा रहा है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार के थिंक टैंक की तरफ से भी एक नया अभियान ‘शून्य’ शुरू किया गया है. नीति आयोग ने आरएमआई और आरएमआई इंडिया के सहयोग से इस अभियान की शुरुआत की है. इस अभियान का उद्देश्य शहरी क्षेत्र में डिलीवरी के मामले में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने में तेजी लाना और शून्य-प्रदूषण वाली डिलीवरी से होने वाले लाभों के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता पैदा करना है.यह भी पढ़े: ओला इलेक्ट्रिक का रिकॉर्ड प्रदर्शन जारी, 2 दिनों में 1,100 करोड़ रुपये के स्कूटर बेचने का रिकार्ड
क्या है शून्य अभियान?
दरअसल, ‘शून्य अभियान’ के तहत सरकार शहरी इलाकों में डिलिवरी के लिए जो वाहन इस्तेमाल किये जाते हैं उन्हें इलेक्ट्रिक वाहन में परिवर्तित करने की कोशिश की जाएगी. और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने पर जोर दिया जायेगा. इससे शहरी इलाकों में डिलिवरी वाहनों से होने वाले प्रदूषण को शून्य के स्तर पर लाया जायेगा.
देश की बड़ी कंपनियों ने लिया हिस्सा
इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स जैसे ई-कॉमर्स कंपनियां, फ्लीट एग्रीगेटर्स, ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्यूफैक्चरर्स (ओईएम) और लॉजिस्टिक्स कंपनियां फाइनल माइल डिलीवरी के इलेक्ट्रिफिकेशन के लिए अपने प्रयासों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. महिंद्रा इलेक्ट्रिक, टाटा मोटर्स, जोमैटो, अशोक लीलैंड, सन मोबिलिटी, लाइटनिंग लॉजिस्टिक्स, बिग बास्केट, ब्लूडार्ट, हीरो इलेक्ट्रिक और स्विगी सहित लगभग 30 कंपनियों ने इस अभियान के प्रति अपना समर्थन व्यक्त करने के उद्देश्य से नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अध्यक्षता में हुए आयोजन में हिस्सा लिया. नीति आयोग के अनुसार, आगे चलकर, उद्योग जगत की अन्य कंपनियों को भी इस पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा.
इसके साथ, इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाने की दिशा में कॉर्पोरेट ब्रांडिंग और सर्टिफिकेशन प्रोग्राम शुरू किया जा रहा है. इसके अंतर्गत एक ऑनलाइन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म, व्हीकल किलोमीटर इलेक्ट्रिफाइड, कार्बन सेविंग्स, मानक प्रदूषक संबंधी सेविंग और स्वच्छ डिलीवरी वाहनों से होने वाले अन्य लाभों से जुड़े आंकड़ों के माध्यम से इस अभियान के प्रभावों को साझा किया जायेगा.
EV को दिया जायेगा बढ़ावा
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत कहते हैं, “हम शून्य अभियान के माध्यम से इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाले स्वास्थ्य संबंधी, पर्यावरण संबंधी और आर्थिक लाभों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देंगे. मैं ई-कॉमर्स कंपनियों, ऑटो निर्माताओं और लॉजिस्टिक्स फ्लीट ऑपरेटरों से आग्रह करूंगा कि वे शहरी क्षेत्र में माल ढुलाई के क्रम में प्रदूषण को खत्म करने के अवसर को पहचानें. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा डायनेमिक प्राइवेट सेक्टर शून्य अभियान को व्यापक रूप से सफल बनाने की चुनौती को स्वीकार करेगा. ”यह भी पढ़े: Royal Enfield ने नई क्लासिक 350 मॉडल बाजार में उतारा
EV के क्या फायदे हैं?
दरअसल, भारत में माल ढुलाई में से होने वाले कार्बन एमिशन का 10 प्रतिशत शहरी मालवाहक वाहनों से होता है और 2030 तक इस एमिशन में 114 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है. इलेक्ट्रिक वाहन अपने टेलपाइप के माध्यम से कोई एमिशन नहीं करते हैं और इस दृष्टि से वे वायु की गुणवत्ता बेहतर करने की दिशा में अत्यधिक योगदान कर सकते हैं. यहां तक की मैन्युफैक्चरिंग के लिए किए जाने वाली एकाउंटिंग के दौरान वे इंटरनल कम्बशन इंजन से लैस अपने समकक्ष वाहनों की तुलना में 15-40 प्रतिशत कम कार्बन डाइऑक्साइड एमिट करते हैं और उनकी परिचालन लागत भी कम होती है.
केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए कई पॉलिसी पेश की हैं, जिससे पूंजीगत लागत में भारी अंतर आएगा. केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने देश के रोडमैप के तौर पर अब ‘शून्य’ पहल को अपनाने का संकल्प लिया है. ‘शून्य’ पहल का टार्गेट आनेवाले दो सालों में शहरी इलाकों में माल वाहक वाहनों को पूरी तरह से EV यानी इलेक्ट्रिक वाहनों में तब्दील करना है.