देश की खबरें | कोरोना प्रबंधन की खामियों का सोशल मीडिया पर ऑडियो-वीडियो जारी करें युवा : अखिलेश यादव

लखनऊ, 30 अप्रैल समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए युवाओं से अपने को सुरक्षित रखते हुए देश व प्रदेश में कोरोना प्रबंधन की खामियों का ऑडियो-वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी करने की अपील की है।

यादव ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘मैं देश व विशेषकर उत्तर प्रदेश के युवाओं से एक विशेष अपील करता हूं कि वो अपने को सुरक्षित रखते हुए देश-प्रदेश में हो रही ऑक्सीजन, बेड व दवाइयों की कमी को सोशल मीडिया पर ऑडियो-वीडियो, फोटो, ट्वीट के माध्यम से उजागर करें, शायद इससे ही सोती हुई भाजपा सरकार जागे।''

इससे पहले एक बयान में उन्होंने कहा,‘‘भारत में कोरोना महामारी के दौर में सरकारी अव्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार की दुनिया भर में किरकिरी हो रही है।''

सपा मुख्‍यालय से शुक्रवार को जारी बयान में अखिलेश यादव ने दावा किया,‘‘कई देशो ने भारत यात्रा पर रोक लगा दी है तो कुछ ने अपने देशवासियों को भारत छोड़ने की एडवायजरी (परामर्श) जारी कर दी हैं।''

यादव ने आरोप लगाया,‘‘वैश्विक स्तर पर इससे भारत की छवि खराब हो रही है लेकिन इस सबके बावजूद भाजपा सरकार अपनी ऐंठ एवं अहंकार में डूबी है, विपक्ष का सहयोग लेने के बजाय उनको बदनाम करने पर तुली है। विदेश में सरकारों ने जन सहयोग से संकट पर काबू पाया है पर यहां तो अकेले ही सब श्रेय लेने के चक्कर में मुख्यमंत्री तीसमार खां बने हुए हैं और जनता की सांसों से खिलवाड़ हो रहा है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह अस्पतालों में बिस्तर को लेकर मारामारी बची है, प्राणवायु ऑक्सीजन के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं, वह बेहद दुखद है।

उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज के लिए सलाह देने वाले डॉक्टरों और अस्पतालों के झूठे नंबर छपवाए जा रहे हैं, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता फोन नम्बर बंद कर लेते हैं। सीएमओ (मुख्य चिकित्सा अधिकारी) कार्यालय में लालफीताशाही का जोर है और कहीं किसी की सुनवाई नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया,‘‘मौत के आंकड़ों में भी खेल हो रहा है और सरेआम झूठ बोला जा रहा है। बस भाजपा राज में इलाज भले न मिले, अंत्येष्टि फ्री है।’’

यादव ने कहा कि भाजपा सरकार कितना अमानवीय हो सकती है इसका एक उदाहरण यह है कि पंचायती चुनावों में ड्यूटी कर रहे 706 शिक्षकों की सांसे थम गई और लगभग 10 हजार से ज्यादा शिक्षक कोरोना संक्रमण से ग्रसित हैं तो भी मतगणना में उनकी ड्यूटी लगाई जा रही है।

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