अफ्रीका की चार टीमें फीफा महिला विश्व कप 2023 में भाग ले रही हैं लेकिन इन खिलाड़ियों का उत्साह खराब श्रमिक स्थितियों, अनुचित वेतन और यौन शोषण की वजह से धीमा पड़ गया है.महिला विश्व कप शुक्रवार शुक्रवार से शुरु हुआ जिसमें चार अफ्रीकी टीमें हिस्सा ले रही हैं- दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, जाम्बिया और नाइजीरिया. इस वजह से लोगों में उत्साह होना चाहिए लेकिन महिला विश्व कप शुरू होने से कुछ महीने पहले से ही एक के बाद एक घोटाले सामने आए हैं. अनुबंधों (कॉन्ट्रैक्ट्स) का अभाव, कम वेतन और खराब पिचों के कारण बहिष्कार तक की घटनाएं हो चुकी हैं और जाम्बिया के कोच पर तो यौन दुर्व्यवहार तक का आरोप लगा है.
कम भुगतान
उद्घाटन मैच से दो हफ्ते पहले दक्षिण अफ्रीका की महिला विश्व कप टीम ने एक अभ्यास मैच का बहिष्कार कर दिया क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी फुटबॉल एसोसिएशन (एसएएफए) ने जिस तरह के बोनस का वादा किया था, वैसा देने में आनाकानी की और विश्व कप में खेलने के लिए भुगतान के बारे में कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं किया था. नाइजीरियन महिला फुटबॉल टीम के साथ भी ऐसा ही हुआ. नाइजीरियाई फुटबॉल फेडरेशन अपने उन महिला विश्व कप खिलाड़ियों के बोनस का भुगतान रहा है जिन्होंने बकाया वेतन भुगतान के कारण प्रशिक्षण देने से रोक दिया था.
आखिरकार इस विवाद को मोटसेपे फाउंडेशन ने सुलझाया जो कि एक चैरिटी संस्था है. यह संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ अफ्रीकन फुटबॉल (सीएएफ) के अध्यक्ष और अरबपति व्यवसायी पैट्रिस मोटसेपे विविधता के लिए लड़ने को समर्पित है. संस्था ने खिलाड़ियों को देने के लिए दान दिया. लेकिन महिला विश्व कप शुक्रवार शुक्रवार से शुरु हुआ जिसमें चार अफ्रीकी टीमें हिस्सा ले रही हैं- दक्षिण अफ्रीका, मोरक्को, जाम्बिया और नाइजीरिया. इस वजह से लोगों में उत्साह होना चाहिए लेकिन महिला विश्व कप शुरू होने से कुछ महीने पहले से ही एक के बाद एक घोटाले सामने आए हैं. अनुबंधों (कॉन्ट्रैक्ट्स) का अभाव, कम वेतन और खराब पिचों के कारण बहिष्कार तक की घटनाएं हो चुकी हैं. और जाम्बिया के कोच पर तो यौन दुर्व्यवहार तक का आरोप लगा है.
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कम भुगतान
उद्घाटन मैच से दो हफ्ते पहले, दक्षिण अफ्रीका की महिला विश्व कप टीम ने एक अभ्यास मैच का बहिष्कार कर दिया क्योंकि दक्षिण अफ्रीकी फुटबॉल एसोसिएशन (एसएएफए) ने जिस तरह के बोनस का वादा किया था, वैसा देने में आनाकानी की और विश्व कप में खेलने के लिए भुगतान के बारे में कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं किया था. नाइजीरियन की महिला फुटबॉल टीम के साथ भी ऐसा ही हुआ. नाइजीरियाई फुटबॉल फेडरेशन अपने उन महिला विश्व कप खिलाड़ियों के बोनस का भुगतान रहा है जिन्होंने बकाया वेतन भुगतान के कारण प्रशिक्षण देने से रोक दिया था. आखिरकार इस विवाद को मोटसेपे फाउंडेशन ने सुलझाया जो कि एक चैरिटी संस्था है. यह संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ अफ्रीकन फुटबॉल के अध्यक्ष और अरबपति व्यवसायी पैट्रिस मोटसेपे विविधता के लिए लड़ने को समर्पित है. संस्था ने खिलाड़ियों को देने के लिए दान दिया. लेकिन एसएएफए के एक अधिकारी ने खिलाड़ियों को कथित तौर पर ‘किराये का टट्टू' और ‘देशद्रोही' कहा है.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया ही ऐसे देश हैं जो अपने खिलाड़ियों को पैसे देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. फुटबॉल खिलाड़ियों की एक अंतर्राष्ट्रीय यूनियन की ओर से किए गए हाल के एक सर्वे से पता चलता है कि सीएएफ की करीब 38 फीसद महिला फुटबॉल खिलाड़ियों का कहना है कि वेतन में ‘बहुत ज्यादा सुधार' की जरूरत है.
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लैंगिक आधार पर वेतन में अंतर
करीब 29 फीसद अंतरराष्ट्रीय महिला खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें अपनी राष्ट्रीय टीम से कोई पैसा नहीं मिलता है जबकि (एसएएफए) ने सभी खिलाड़ियों को एकसमान भुगतान की घोषणा की है. लेकिन जाम्बिया और सियरा लियोन ही ऐसे देश हैं जिन्होंने खिलाड़ियों के लिए एकसमान भुगतान की व्यवस्था को लागू किया है. लेकिन भुगतान के बारे में वास्तविक स्थिति का पता करना इतना आसान नहीं है. डीडब्ल्यू ने यह जानने के लिए मोरक्को, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रीय फुटबॉल संघों से संपर्क किया कि पिछले विश्व कप आयोजनों में महिला और पुरुष खिलाड़ियों को उनके यहां किस तरह से भुगतान किया जाता रहा है. लेकिन खबर लिखे जाने तक किसी से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई.
राष्ट्रीय संघों की तुलना में फीफा की भुगतान प्रणाली काफी स्पष्ट है. प्रतियोगिता के ग्रुप स्टेज में भाग लेने वाले हर खिलाड़ी को 30 हजार डॉलर मिलते हैं लेकिन संघ ने घोषणा की है कि यह पैसा पहले उनके फुटबॉल संघों के पास भेजा जाएगा जिसकी वजह से व्यक्तिगत रूप से खिलाड़ियों तक कम पैसा पहुंचेगा. यह पैसा भी पुरुष खिलाड़ियों को मिलने वाले पैसे की तुलना में बहुत कम है. पुरुष खिलाड़ियों के मामले में हर देश को ग्रुप स्टेज में भाग लेने पर 90 लाख डॉलर मिले थे.
खराब परिस्थितियां
दक्षिण अफ्रीका की महिला टीम ने एक अभ्यास मैच का बहिष्कार इसलिए कर दिया क्योंकि पिच की स्थिति बहुत खराब थी. वहां की मिट्टी गीली थी और जमीन पर बड़ी-बड़ी घास उग आई थीं जिनकी वजह से वे चोटिल हो सकती थीं. विश्व कप प्रतियोगिता नजदीक थी इसलिए खिलाड़ी जोखिम लेने की स्थिति में नहीं थीं. जाम्बिया के खिलाड़ियों को भी ऐसी खराब पिच पर खेलने के अनुभव रहा. मिडफील्डर एवरिन कटांगो ने जर्मन ब्रॉडकास्टर एनटीवी को बताया कि जो अच्छी गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण मैदान हैं उन्हें पुरुषों की टीम के लिए आरक्षित रखा जाता है. उनका कहना था, "हम महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए बहुत कम समय मिलता है और हमें पुरुषों के लिए जगह खाली करनी पड़ती है.”
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यौन उत्पीड़न
द गार्डियन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जाम्बिया के प्रमुख कोच ब्रूस म्वापे के खिलाफ जाम्बिया का फुटबॉल एसोसिएशन जांच करा रहा है जिसे तब से FIFA और पुलिस के पास भेज दिया गया है. कोच पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं. जाम्बिया की फुटबॉल टीम की एक खिलाड़ी ने नाम न छापने की शर्त पर इस ब्रिटिश अखबार को बताया, "यदि वो किसी के साथ सोना चाहते हैं तो उस खिलाड़ी को हां कहना पड़ेगा. यह बहुत सामान्य बात है कि कोच हमारी टीम की खिलाड़ियों के साथ सोते हैं.”
अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल यूनियन के विधि निदेशक रॉय वरमीर ने डीडब्ल्यू को बताया कि जाम्बिया के मामले में उन्हें कोई आश्चर्य नहीं हुआ. वरमीर कहते हैं कि महिला फुटबॉल के संदर्भ में यह एक संरचनात्मक समस्या है जो दुनिया भर में होता है. वो कहते हैं, "हम इन आरोपों को सुनकर हैरान जरूर रह गए लेकिन हम यह जानकार हैरान नहीं थे कि ऐसा होता है.”
यौन उत्पीड़न की घटनाएं सियरा लियोन और गैबन की टीमों के साथ भी हुई हैं. यही नहीं, अमेरिका, वेनेजुएला, ऑस्ट्रेलिया, हेती और स्पेन जैसी टीमों की महिला खिलाड़ों के साथ भी यौन उत्पीड़न की शिकायतें मिली हैं. यूनियन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यौन दुर्व्यवहार के मामले में फुटबॉल एक उच्च जोखिम वाला क्षेत्र है. बड़ी संख्या में एथलीट बड़ा करियर बनाने के उद्देश्य से यहां आते हैं जिनमें कई युवा ऐसे भी होते हैं जो कि बहुत ही कमजोर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के होते हैं और खुद को इसके जरिए आगे ले जाना चाहते हैं ताकि अपनी और परिवार की गरीबी दूर कर सकें.
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सुनवाई में दिक्कतें
इन्हीं वजहों से कोच को ताकत मिलती है और खिलाड़ियों की इस हालत का वो गलत फायदा उठाते हैं और खेल को बदनाम करते हैं. हालांकि डीडब्ल्यू से बातचीत में वरमीर ये भी कहते हैं, "राष्ट्रीय फुटबॉल संघों की ऐसे मामलों की जांच में कोई खास दिलचस्पी नहीं रहती है. फेडरेशन के रूप में आप उन सदस्यों को खुश रखना चाहते हैं जो आपको वोट देते हैं. और वोट देने वाले क्षेत्रीय संघ और क्लब्स होते हैं, खिलाड़ी नहीं.” वरमीर कहते हैं कि जरूरत इस बात की है कि फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए एक अलग इकाई हो जो कि उनके खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार की जांच करे. वरमीर कहते हैं कि हालांकि इसमें काफी समय लग सकता है लेकिन कुछ चीजें हैं जिन्हें तुरंत बदला जा सकता है, "जैसे मामलों की सुनवाई करने वाले पैनल में लैंगिक संतुलन होना चाहिए और फेडरेशन्स को चाहिए कि इस तरह के उत्पीड़न की जानकारी रखें और पीड़ित के साथ सहयोग करें.”
अभी भी अनुचित व्यवहार जारी है. अफ्रीका की महिला फुटबॉल टीम में खराब कार्य स्थितियां, अनुचित वेतन और लैंगिक दुर्व्यवहार अभी भी बहुत ज्यादा है और दुनिया के अन्य देशों में भी ऐसा ही है. हालांकि, समान वेतन जैसे कुछेक मामलों में सभी अफ्रीकी टीमों में काफी सुधार देखने को मिला है. महिला विश्व कप का आयोजन खिलाड़ियों को एक मौका देता है कि इस तरह के अनुचित व्यवहार को उठाएं और उनकी सुनवाई हो, इससे दूसरी महिलाओं को भी उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने को प्रोत्साहन मिलता है. जैसा कि हम देख सकते हैं- दुनिया भर में ज्यादा से ज्यादा महिलाएं अपनी आवाज बुलंद कर रही हैं.