पटना, सात अगस्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) ने अपने सहयोगी भाजपा के साथ अनबन की अटकलों को खारिज करते हुए उसके साथ सब कुछ ठीक होने का दावा किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह फिर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने रविवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति के बारे में सवालों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘आपको मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछना चाहिए।’’
नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति के पीछे के कारण पर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टीकरण अभी तक नहीं आया है, पर मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना संक्रमण के बाद की अपनी शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश ने उक्त बैठक में शामिल होने पर असमर्थतता जतायी।
25 जुलाई को कोरोना संक्रमण को लेकर नीतीश की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी। लोकसभा सदस्य ललन ने कहा कि उन्हें शाम को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई पार्टी सांसदों की बैठक के एजेंडे के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
उन्होंने भाजपा के साथ सबकुछ ठीक होने का दावा करते हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में जदयू के समर्थन का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया।’’
जदयू अध्यक्ष ने कहा, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का इससे मजबूत प्रदर्शन नहीं हो सकता।’’
एक और राज्यसभा कार्यकाल से वंचित होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देने वाले आरसीपी सिंह द्वारा शनिवार को जदयू से इस्तीफा देने और इसके बाद पार्टी को लेकर की गयी उनकी टिप्पणी के बारे में ललन ने विस्तार से बताए बिना कहा, ‘‘हो सकता है कि उन्होंने कल ही जदयू से इस्तीफा दिया हो, पर उन्हें देर-सवेर तो जाना ही था, क्योंकि उनका तन यहां (जदयू में) और मन कही और था।
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आरसीपी के बारे में कहा, ‘‘वे सत्ता के साथी रहे हैं न कि संघर्ष के। सत्ता हाथ से निकल गयी ऐसे में उनकी बौखलाहट स्वभाविक है।’’
उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी को कम सीट आने की चर्चा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी के 43 सीट जीतने के पीछे जनाधार का कम होना नहीं, बल्कि नीतीश कुमार के खिलाफ रची गई साजिश थी, जिसको लेकर हमलोग अब सर्तक हैं।
अपनी पार्टी के पूर्ववर्ती राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी को ललन ने सलाह दी कि वे नीतीश कुमार के खिलाफ बयानबाजी में उलझे बिना स्वेछा से जहां भी जाना चाहते हैं, वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जदयू के मालिक हैं। आरसीपी या मेरे जैसे लोग उनके आशीर्वाद के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में चुने जाते हैं, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हम सिर्फ केयरटेकर हैं।
ललन ने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट किया, ‘‘हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव के बाद वर्ष 2019 में ही केंद्र में सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला किया था, हम अब भी उस पर कायम हैं।’’
ललन ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार में शामिल नहीं होने का फैसला हमारे नेता नीतीश कुमार, जो उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे, ने सभी से राय-मश्विरा करके लिया था।’’
2021 में आरसीपी, जो उस समय जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे, के केंद्रीय मंत्री बनने के बारे में पूछे जाने पर ललन ने कहा कि इस बारे में निर्णय लेने के समय उन्होंने किसी से भी सलाह नहीं ली थी।
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