मेरठ (उप्र), आठ मई मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दुष्कर्म के एक मामले में आरोपी का नाम निकालने के एवज में एक लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में मेरठ की महिला थाना प्रभारी और एक महिला उपनिरीक्षक (दरोगा) को रविवार को निलंबित कर दिया।
इसके अलावा उन्होंने मामले हुए विभागीय जांच के आदेश दिये हैं। दोनों के खिलाफ सिविल लाइन थाने में भ्रष्टाचार का मामला भी दर्ज कराया गया है।
मेरठ के पुलिस अधीक्षक (नगर) विनीत भटनागर ने बताया कि सरधना के छुर गांव के दुष्कर्म के एक मामले में एक आरोपी फ़ौजी का नाम निकालने के बदले महिला दरोगा रितु काजला और महिला थाना प्रभारी मोनिका जिंदल ने एक लाख रुपये रिश्वत मांगी थी।
उन्होंने बताया कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभाकर चौधरी ने पुलिस अधीक्षक (देहात) केशव कुमार को मामले की जांच सौंप दी थी, जिसमें जिंदल व काजला दोषी पाई गईं।
अधिकारी ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर जिंदल और काजला के खिलाफ सिविल लाइन थाने में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कराया गया है। भटनागर ने बताया कि एसएसपी ने दोनों को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिये हैं।
यह मामला तब सामने में आया जब फ़ौजी ने दोनों की वीडियो बनाकर मेरठ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत की।
पुलिस सूत्रों के अनुसार,मामला सरधना के छुर गांव का है, जहां सुमित नामक युवक के खिलाफ उसकी भाभी ने महिला थाने में मामला दर्ज करा दिया था। सुमित सेना में हैं और उसकी नगालैंड में तैनाती है।
इसी मामले में सुमित का नाम निकालने के नाम पर विवेचक महिला दरोगा रितू काजला और महिला थाना प्रभारी मोनिका जिंदल ने सुमित से एक लाख रुपये रिश्वत मांगी थी। करीब 35 हजार रुपये सुमित ने पुलिसकर्मियों को दे दिए थे। फौजी सुमित ने इस बातचीत की वीडियो बना ली और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मेरठ प्रभाकर चौधरी से शिकायत की। इसके बाद यह कार्रवाई हुई।
सं आनन्द
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