नयी दिल्ली, 11 जनवरी प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि उन्होंने दिल्ली-केंद्र विवाद पर 2018 के संविधान पीठ के फैसले में ‘संविधान के जनक और जननी’ वाक्यांश का इस्तेमाल महिलाओं को उचित सम्मान देने के लिए किया था।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पांच सदस्यीय संविधान पीठ की अगुवाई करते हुए केंद्र-दिल्ली सरकार के बीच सेवाओं के नियंत्रण के विवाद के मुद्दे पर सुनवाई फिर से शुरू करते हुए अपनी इस टिप्पणी को याद किया।
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान के जनक और जननी। मैं पहली बार यह पढ़ रहा हूं। हम उन्हें जननी बुलाते हैं क्योंकि अन्यथा महिला सदस्यों की भूमिका को पहचाना नहीं जाएगा। इन महिलाओं ने वास्तव में संविधान रचना में योगदान दिया था।’’
पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल रहे।
प्रधान न्यायाधीश का यह बयान तब आया जब आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी शीर्ष अदालत के 2018 के फैसले को पढ़ रहे थे।
शीर्ष अदालत की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 के एक फैसले में आम सहमति से कहा था कि दिल्ली के उप राज्यपाल निर्वाचित सरकार की सहायता और सलाह से काम करने को बाध्य हैं और दोनों को एक-दूसरे के साथ सौहार्द से काम करना होगा।’’
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