नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह पटाखों की बिक्री की अनुमति नहीं दे सकता, वो भी तब जब राष्ट्रीय राजधानी में पहले ही ‘पर्याप्त’ प्रदूषण है।
अदालत की यह मौखिक टिप्पणी ‘दिल्ली पटाखा दुकान संघ’ की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान आई। यह संघ पटाखों को रखने और बिक्री करने के ‘स्थायी लाइसेंस’ रखने वाले कारोबारियों का समूह है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि व्यापारियों की शिकायत पटाखों के भंडारण पर प्रतिबंध के संबंध में है क्योंकि इससे कथित तौर पर उत्पीड़न हो रहा है।
अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि वह अधिकारियों से कहेगी कि कारोबारियों के उन परिसरों को सील कर दें जिनका इस्तेमाल पटाखों के भंडारण के लिए किया जाता है ताकि वहां से चोरी नहीं हो।
न्यायमूर्ति संजीव नरुला ने कहा, ‘‘ राज्य को सील करने की प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए ताकि चोरी नहीं हो।’’ उन्होंने मौखिक टिप्पणी की, ‘‘हम आपको बिक्री की अनुमति नहीं देने वाले हैं। इस शहर में पहले ही पर्याप्त प्रदूषण है।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि संघ के सदस्यों द्वारा पटाखों की बिक्री नहीं की जा रही तब भी प्रतिबंध आदेश के बाद पुलिस स्थायी लाइसेंस धारकों के पास आकर पूछताछ कर रही है कि क्यों वे पटाखों का भंडारण कर रहे हैं।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जो हवाला दिया है उसमें किसी व्यक्ति पर पटाखे बेचने का आरोप था। पीठ ने कहा कि जो कानून का उल्लंघन करेगा, उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाएगा।
अदालत ने मौखिक रूप से कहा, ‘‘हम आपके लिए छूट नहीं दे सकते। अगर आप भंडारण करते हैं तो (दुरुपयोग की) संभावना है। हम सील लगाएंगे। इसकी वीडियो ग्राफी की जाएगी।’’
दिल्ली सरकार ने 14 सितंबर को आदेश जारी कर एक जनवरी तक शहर में सभी तरह के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।
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