जाखौ (गुजरात), 26 नवंबर अपने अस्थायी घर के बाहर खड़ी वैशाली मंगले यह समझ नहीं पा रही हैं कि गुजरात में चुनावों से ठीक पहले जाखौ बंदरगाह पर लगभग 300 घरों, झोपड़ियों और गोदामों को “अनधिकृत” निर्माण बताकर अधिकारियों द्वारा क्यों तोड़ दिया गया।
कच्छ जिले के भुज शहर से 120 किलोमीटर दूर जाखौ बंदरगाह अब्दासा विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जहां पहले चरण में मतदान होना है। गुजरात की 182-सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में होने वाले चुनाव के पहले चरण का मतदान एक दिसंबर को प्रस्तावित है।
क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों के एक प्रमुख स्रोत जाखौ बंदरगाह का जीर्णोद्धार एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर विपक्ष भाजपा को निशाना बनाने के लिए जोर-शोर से लगा हुआ है।
क्षेत्र में जल संकट, विशेष रूप से नर्मदा से पानी प्राप्त करना, शुष्क कच्छ क्षेत्र में विभिन्न राजनीतिक दलों का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है।
कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह जडेजा के 2020 में भाजपा में शामिल हो जाने के बाद अब्दासा सीट अब भाजपा के पास है। यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था।
नाम न बताने की शर्त पर एक मछली व्यापारी ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बुलडोजर से घरों को गिराना एक प्रशासनिक निर्णय की तुलना में प्रतीकात्मक कार्रवाई अधिक है।
उन्होंने कहा, “बुलडोजर की राजनीति एक विशेष समुदाय को संदेश पहुंचाने का प्रतीक है। समुद्र तट के करीब घरों को गिराना एक सामान्य बात है।” उन्होंने आगे कहा, “चुनाव से ठीक पहले का ही वक्त घरों को गिराने के लिए क्यों चुना गया?”
राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह ने कहा कि हिंदू वोटों को मजबूत करने के लिए घरों को गिराया गया था। उन्होंने कहा, “इस कवायद के दौरान कुछ हिंदू परिसंपत्तियों को गिराने का मकसद सरकार को केवल निष्पक्ष दिखाना था।”
वैशाली पूछती हैं, “क्या हम देशद्रोही हैं कि हमारे घरों को तोड़ना और हमें बाहर फेंकना (अनिवार्य) है?”
जिला प्रशासन और सत्तारूढ़ भाजपा ने बुलडोजर की राजनीति के दावों का खंडन किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अवैध घरों को गिराना आवश्यक था।
कच्छ (पश्चिम) के पुलिस अधीक्षक सौरभ सिंह ने “पीटीआई-” को बताया, “विध्वंस अचानक नहीं किए गए थे। पिछले साल उन्हें जगह खाली करने के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन वे घरों का निर्माण करते रहे, जिसके कारण समुद्र तट की दृश्यता स्पष्ट नहीं थी, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घरों को तोड़ा गया।”
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