जरुरी जानकारी | थोक मूल्य सूचकांक में तीसरे माह गिरावट, जून में थोक मुद्रास्फीति शून्य से 1.81 प्रतिशत नीचे

नयी दिल्ली, 14 जुलाई थोक बाजारों में सामान्य कीमत स्तर लगातार तीसरे महीने जून में भी पिछले वर्ष इसी माह की तुलना में नीचे बना रहा। ईंधन और बिजली की दरों में गिरावट से थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून माह में शून्य से 1.81 प्रतिशत नीचे रही। हालांकि, आलोच्य माह में खाद्य पदार्थों की कीमतों में हल्की मजबूती रही।

थोक मूद्रास्फीति मई में शून्य से 3.21 प्रतिशत नीचे और अप्रैल में शून्य से 1.57 प्रतिशत नीचे थी। मार्च में थोक कीमतें सालाना आधार पर 0.42 प्रतिशत तेज थीं।

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वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को यहां जारी वक्तव्य में कहा, ‘‘थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जून 2020 में शून्य से 1.81 प्रतिशत (अस्थाई आंकड़ा) थी। एक साल पहले थोक मुद्रास्फीति 2.02 प्रतिशत थी।’’

जून माह में खाद्य वर्ग में थोक मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 2.04 प्रतिशत थी। इससे पिछले महीने खाद्यों के थोक भाव सालाना आधार पर 1.13 प्रतिशत ऊंचे थे।

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ईंधन और बिजली समूह के सूचकांक में 13.60 प्रतिशत की गिरावट रही। इससे पिछले महीने मई में समूह में 19.83 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

सब्जियों और प्याज के दामों में सालाना आधार पर जून 2020 में क्रमश: 9.21 प्रतिशत और 15.27 प्रतिशत गिरावट रही वहीं आलू के दाम में 56.20 प्रतिशत की वृद्धि रही।

दालों की मुद्रास्फीति 10.10 प्रतिशत रही जबकि गेहूं के दाम जून में सालाना आधार पर 5.17 प्रतिशत चढ़ गये।

विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति 0.08 प्रतिशत रही जबकि मई में इनके दाम सालाना आधार पर 0.42 प्रतिशत नीची थे।

सोमवार को खुदरा मुद्रास्फीति के ओकड़े जारी किये गये। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में 6.09 प्रतिशत हो गई। यह आंकड़ा रिजर्व बैंक के महंगाई के तय दायरे से बाहर है।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री आदिति नायर ने कहा कि जून महीने में डब्ल्यूपीआई में जो गिरावट थी उसका अंतर काफी कम हुआ है। इसमें खनिज को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख क्षेत्रों में साल दर साल आधार पर मुद्रास्फीति में बढ़त का रुख दिखा है।

उन्होंने कहा कि वहीं थोक मूल्यों और खुदरा मूल्य के स्तर पर खाद्य मुद्रास्फीति के बीच जो भिन्नता थी वह भी कम हुई है हालोकि जून में यह ज्यादा रही है। इससे देश के लॉकडाउन से बाहर निकलते हुये खाद्य कीमतों में उतार चढ़ाव लाने वाले कारकों में भिन्नता का संकेत मिलता है।

हाल के सप्ताह में सब्जियों के दाम में आई तेजी को देखते हुये उन्होंने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक के खाद्य समूह की महंगाई में जुलाई में भी तेजी जारी रह सकती है। जुलाई में गिरावट का आंकड़ा और कम हो सकता है।

रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करते समय खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े पर गौर करता है। रिजर्व बैंक की नीति का लक्ष्य खुदरा मुद्रास्फीति को नीचे में दो प्रतिशत और ऊंचे में छह प्रतिशत के दायरे में रखते हुये सामान्य तौर पर चार प्रतिशत के ईद-गिर्द बनाये रखने का है।

रिजर्व बैंक आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये फरवरी 2019 के बाद से अब तक अपनी नीतिगत ब्याज दर में 2.50 प्रतिशत तक की कटौती कर चुका है।

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