यूरोप में मधुमक्खियों, भंवरों और तितलियों की कई प्रजातियां लुप्त होने का खतरा झेल रही हैं. एक विस्तृत समीक्षा ने इससे पैदा होते एक बड़े खतरे की चेतावनी दी है.जैव विविधता के संरक्षण से जुड़ी एक नई समीक्षा में दावा किया गया है कि यूरोप में जंगली मक्खियों की करीब 100 प्रजातियां लुप्त होने का खतरा झेल रही हैं. इन मक्खियों में भंवरे, जंगली मक्खियां, ततैया, झिमोड़े, अयांर, पतंगे, मुर भी शामिल हैं. यह दावा इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की यूरोपीय समीक्षा में किया गया है. यूरोप में जंगली मक्खियों की करीब 1,928 प्रजातियां हैं. इनमें से करीब 172 लुप्त होने के करीब हैं.
समीक्षा में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि इस खतरे पर तुरंत काम करने की जरूरत है. जंगली मक्खियां परागण में बहुत ही बड़ी भूमिका निभाती हैं. इस परागण के बिना प्रकृति में आहार चक्र गड़बड़ा सकता है. इसका असर इंसान के खाद्यान्न उत्पादन पर भी पड़ेगा. खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशक, प्रदूषण और गर्म होती जलवायु जंगली मक्खियों के लिए बड़ी चुनौती हैं.
तितलियां भी बड़ी मुश्किल में
गुनगुने मौसम में अपने रंग बिरंगे पंखों को फड़फड़ाते हुए उड़ने वाली तितलियां भी संकट का सामना कर रही हैं. यूरोप में तितलियों की जिन 442 प्रजातियों की जांच की गई, उनमें से 65 लुप्त होने का खतरा झेल रही हैं. 2010 की समीक्षा में यह संख्या 37 थी.
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इन 442 तरह की तितलियों में से 40 फीसदी सिर्फ यूरोप में ही पाई जाती हैं. मसलन मडैरियन लार्ज व्हाइट तितली. पूरी दुनिया में यह तितली सिर्फ पुर्तगाल के मडैरा द्वीप में पाई जाती है. लेकिन अब आईयूसीएन इसे विलुप्त प्रजाति करार दे चुका है.
संरक्षणकर्ताओं के मुताबिक, जंगली मक्खियों और तितलियों के सामने सबसे बड़ा खतरा उजड़ता प्राकृतिक आवास है. यूरोप में कई जगहों पर फूलों से भरे घास के मैदान घट रहे हैं. नाइट्रोजन वाली खाद और कीटनाशक व खरपतवार नाशक जैसे रसायन भी इन छोटे जीवों पर आफत बनकर टूट रहे हैं.
तुरंत कदम उठाने होंगे
आईयूसीएन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यूरोप में तितलियों की 52 फीसदी से ज्यादा प्रजातियां जलवायु परिवर्तन से परेशान हो रही हैं. बटरफ्लाई कंजर्वेशन के पूर्व प्रमुख, डॉक्टर मार्टिन वॉरेन के मुताबिक, प्राकृतिक आवास को बचाकर और जंगलों की आग को काबू में कर तितलियों की कई प्रजातियों को बचाया जा सकता है.
आईयूसीएन की महानिदेशिका डॉ. ग्रेथेल अगुईलार कह ती हैं, "यूरोपीय संघ में पांच में चार फसलें और जंगली फूल, परागण के लिए इन्हीं कीटों पर निर्भर हैं.
यूरोपीय आयोग की पर्यावरण कमीश्नर जेसिका रोसवाल ने इस समीक्षा को एक गंभीर चेतावनी करार दिया है. रोसवाल ने कहा, "ये हमारे आहार तंत्र, हमारे ईको सिस्टमों और समाजों की नींव हैं. इस खतरे से निपटने के लिए फौरन और सामूहिक कदम उठाने की जरूरत है."













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