राष्ट्रपति रईसी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2018 में समझौते से अलग होने के अमेरिका के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका पहले ही पिछले समझौते को ‘‘कुचल’’ चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘ईरान परमाणु वार्ता में सभी मुद्दों को हल करने को लेकर गंभीर है लेकिन हमारी केवल एक ही इच्छा है : प्रतिबद्धताओं का पालन।’’
उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम बिना किसी गारंटी और आश्वासन के पूरी तरह यह भरोसा कर सकते हैं कि इस बार वे अपनी प्रतिबद्धताओं पर खरे उतरेंगे?’’
रईसी ने इजराइल के संदर्भ में कहा कि ईरान की परमाणु गतिविधियों की एकतरफा जांच की गयी जबकि अन्य देशों का परमाणु कार्यक्रम अब भी गुप्त है।
गौरतलब है कि इजराइल ने परमाणु हथियार रखने की न कभी पुष्टि की और न ही इससे इनकार किया है।
परमाणु समझौते का विरोध करने वाला इजराइल संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों के समक्ष ईरान पर अपने परमाणु कार्यक्रम को छिपाने का आरोप लगाता रहा है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण में कहा, ‘‘हम ईरान को कोई परमाणु हथियार हासिल नहीं करने देंगे।’’
साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ईरान अपनी प्रतिबद्धताओं का पूरा करता है तो अमेरिका फिर से इस समझौते का हिस्सा बनने के लिए तैयार है।
रईसी ने मानवाधिकारों पर ‘‘दोहरे मानदंड’’ अपनाने के लिए पश्चिम देशों की निंदा भी की। उन्होंने इजराइल पर फलस्तीन गाजा पट्टी की नाकाबंदी के जरिए दुनिया की सबसे बड़ी जेल बनाने का आरोप लगाया।
रईसी ने संयुक्त राष्ट्र में ऐसे वक्त में भाषण दिया है जब ईरान नाजुक दौर से गुजर रहा है। पश्चिम के प्रतिबंधों ने देश की वित्तीय हालत खराब कर दी है। देश में अर्थव्यवस्था के विरोध में प्रदर्शन तेज हो गए हैं।
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