इंदौर, 11 मई मध्यप्रदेश के कुख्यात व्यापमं घोटाले से जुड़े पीएमटी फर्जीवाड़े के मामले में इंदौर की विशेष अदालत ने पांच लोगों को बृहस्पतिवार को पांच-पांच साल के कारावास की सजा सुनाई। इनमें मध्यप्रदेश के असली उम्मीदवार के स्थान पर प्रवेश परीक्षा में बैठने वाला बिहार का एक फर्जी परीक्षार्थी (सॉल्वर) शामिल है। अभियोजन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक रंजन शर्मा ने बताया कि व्यापमं घोटाले के मामलों के लिए गठित विशेष अदालत के न्यायाधीश संजय कुमार गुप्ता ने रवींद्र कुमार, विक्रांत कुमार, रामचित्र जाटव, राकेश खन्ना और ब्रजेश को मुजरिम करार देते हुए सजा सुनाई।
शर्मा के मुताबिक, अभियोजन की ओर से 52 लोगों की गवाही के आधार पर यह सजा भारतीय दंड विधान और मध्यप्रदेश मान्यताप्राप्त परीक्षा अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत सुनाई गई।
उन्होंने बताया कि तत्कालीन व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) के वर्ष 2013 में आयोजित प्री-मेडिकल टेस्ट (पीएमटी) में मध्यप्रदेश के भिंड निवासी रवींद्र कुमार के स्थान पर बिहार के नालंदा जिले का रहने वाला विक्रांत कुमार बैठा था, जबकि तीन अन्य मुजरिम असली और फर्जी उम्मीदवार के मध्य बिचौलिये की भूमिका निभा रहे थे।
शर्मा ने बताया कि फर्जीवाड़े के जरिये पीएमटी में चयन के बाद रवींद्र कुमार को इंदौर के शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में दाखिला मिला था।
उन्होंने बताया, ‘‘बाद में व्यापमं घोटाले के खुलासे से घबराकर रवींद्र कुमार महाविद्यालय के डीन के पास खुद पहुंच गया और कबूल किया कि पीएमटी में उसका चयन फर्जीवाड़े से हुआ है। जब डीन ने उसे यह बात लिखकर देने को कहा, तो वह फरार हो गया जिसके बाद महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई।’’
शर्मा ने बताया कि फर्जीवाड़े के जरिये रवींद्र कुमार के पीएमटी में चयन के लिए उसके और आरोपियों के बीच 7.5 लाख रुपये का लेन-देन हुआ था।
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