नयी दिल्ली, 26 दिसंबर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह हिंदू मंदिरों को राज्यों की सरकारों के नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करेगी।
इस अभियान की शुरुआत पांच जनवरी को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा शहर में एक जन जागरूकता कार्यक्रम से होगी।
विहिप के संगठन महासचिव मिलिंद परांडे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदू मंदिरों के प्रशासन और प्रबंधन के लिए एक मसौदा कानून पहले ही तैयार किया जा चुका है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कुछ दिन पहले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को उनके विचारार्थ मसौदे की एक प्रति दी थी।’’
परांडे ने कहा कि मसौदा कानून एक ‘थिंक टैंक’ द्वारा तैयार किया गया है जिसमें उच्च न्यायालयों के कुछ सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश, उच्चतम न्यायालय के वकील, धार्मिक नेता और विहिप कार्यकर्ता शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछले 2-3 वर्षों से इस संबंध में काम कर रहे थे और मसौदा तैयार करने के लिए एक ‘थिंक टैंक’ का गठन किया गया था।’’
उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में मंदिरों को सरकार के नियंत्रण में लाया गया था, ताकि उनके धन और संपत्ति पर नजर रखी जा सके।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद भी ये मंदिर राज्य सरकारों के नियंत्रण में हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम इस मुद्दे पर पूरे देश में व्यापक जन जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहे हैं। इस मुद्दे को उठाने के लिए पहला कार्यक्रम पांच जनवरी को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित किया जायेगा।’’
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगों के शामिल होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘कार्यक्रम में शामिल होने के लिए दो लाख से अधिक लोग पहले ही पंजीकरण करा चुके हैं’’।
भाजपा का नाम लिए बगैर विहिप पदाधिकारी ने कहा कि दो साल पहले कर्नाटक सरकार ने राज्य के सभी मंदिरों को हिंदू समाज को सौंपने की अपनी “तत्परता” व्यक्त की थी, लेकिन “दुर्भाग्य से” उस समय सत्तारूढ़ पार्टी चुनाव नहीं जीत सकी और मुद्दे का समाधान नहीं हो सका।
परांडे ने कहा, ‘‘मंदिरों की आय हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार, समाज की सेवा और संबंधित मुद्दों पर खर्च की जानी चाहिए, न कि सरकारी कार्यों पर।’’
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