नयी दिल्ली, छह अगस्त विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “हर संभव” कदम उठाने का सरकार से मंगलवार को आग्रह किया और दावा किया कि पड़ोसी देश के कई जिलों में “कट्टरपंथी” उन्हें निशाना बना रहे हैं।
विहिप अध्यक्ष आलोक कुमार ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करने की मांग की और कहा कि पड़ोसी देश में मौजूदा स्थिति का फायदा उठाकर भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की जा सकती है।
उन्होंने विश्व समुदाय से भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए “प्रभावी कार्रवाई” करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक ‘एक अजीब अनिश्चितता, हिंसा और अराजकता में फंस गए हैं।”
कुमार ने कहा, “हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों और घरों में तोड़फोड़ की गई है। कल रात तक सिर्फ पंचगढ़ जिले में कट्टरपंथियों ने 22 मकानों को, झेनैदाह में 20 मकानों को और जशोर में 22 दुकानों को निशाना बनाया और कई जिलों में श्मशान घाटों में भी तोड़फोड़ की गई।”
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में शायद ही कोई ऐसा जिला बचा हो जो ‘उनकी हिंसा और आतंक’ का निशाना न बना हो।
कुमार ने कहा, “बांग्लादेश में हिंदुओं के मकान, दुकानें, दफ्तर, व्यापारिक प्रतिष्ठान, महिलाएं, बच्चे और यहां तक कि उनकी आस्था, विश्वास और उपासना स्थल जैसे मंदिर और गुरुद्वारे भी सुरक्षित नहीं हैं। कहा जा सकता है कि वहां उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है।”
उन्होंने दावा किया कि पड़ोसी देश में इस्कॉन मंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया गया है। कुमार ने कहा, “विश्व हिंदू परिषद भारत सरकार से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाने का आग्रह करती है।”
उन्होंने दावा किया, “यह बताना उचित होगा कि बांग्लादेश में कभी हिंदूओं की आबादी 32 प्रतिशत थी, लेकिन यह अब आठ प्रतिशत से भी कम रह गई है और वे भी निरंतर जिहादी उत्पीड़न के शिकार हैं।”
कुमार ने कहा, “संकट की इस घड़ी में भारत मित्र के रूप में बांग्लादेश के सम्पूर्ण समाज के साथ मजबूती से खड़ा है। हम कामना करते हैं कि बांग्लादेश में यथाशीघ्र लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष सरकार की पुनः स्थापना हो। भारत का समाज और सरकार इस मामले में बांग्लादेश का समर्थन करती रहेगी।”
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