देश की खबरें | इस वर्ष लिपुलेख मार्ग से चीन के साथ सीमा व्यापार नहीं करेंगे उत्तराखंड के स्थानीय लोग
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पिथौरागढ़, 29 मई उत्तराखंड के स्थानीय लोगों ने इस साल लिपुलेख दर्रे के जरिए चीन के साथ सीमा व्यापार में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है।

धारचूला के उप संभागीय मजिस्ट्रेट ए के शुक्ला ने कहा कि बुधवार को प्रशासन द्वारा बुलाई गई तैयारी बैठक के दौरान उन्होंने वार्षिक व्यापार गतिविधियों में भाग लेने के प्रति अनिच्छा प्रकट की।

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शुक्ला ने कहा, ‘‘भारतीय व्यापारियों ने कोविड-19 के खिलाफ एहतियात के तौर पर इस साल लिपुलेख दर्रे के जरिए चीन के साथ व्यापार नहीं करने का फैसला किया है।’’

अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से सीमा व्यापार को लेकर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है।

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भारत-चीन व्यापार संगठन के संरक्षक विशान गर्ब्याल ने कहा, ‘‘चीन इस घातक वायरस का केंद्र रहा है, हमें सावधानी बरतनी चाहिए और उस देश में प्रवेश नहीं करना चाहिए।’’

पिथौरागढ़ जिले की चांद घाटी में 17,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत-चीन सीमा व्यापार, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद दशकों तक निलंबित रहने के बाद 1992 में फिर से शुरू हुआ था।

यह हर साल जून में शुरू होता है और अक्टूबर तक चलता है।

भारत ने हाल ही में धारचूला के साथ लिपुलेख दर्रे को जोड़ने वाली एक सड़क का उद्घाटन किया। इससे नेपाल के साथ सीमा विवाद को लेकर तनाव पैदा हो गया क्योंकि पड़ोसी देश का दावा है कि वह क्षेत्र उसके देश में पड़ता है।

गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तनाव पैदा हो गया है, जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच एक हफ्ते से गतिरोध चल रहा है।

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