नयी दिल्ली, तीन फरवरी राज्यसभा में शुक्रवार को भी विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने सूचीबद्ध कामकाज निलंबित कर नियम 267 के तहत अडाणी मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए हंगामा किया जिसकी वजह से उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बाद करीब ढाई बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरु होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्हें विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे सहित विभिन्न सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत 15 नोटिस मिले हैं। उन्होंने कहा कि खरगे के अलावा सैयद नासिर हुसैन, प्रमोद तिवारी, कुमार केतकर, अमी याज्ञनिक और नीरज डांगी (सभी कांग्रेस) के नोटिस एक समान हैं।
सभापति ने कहा कि इसके साथ ही जॉन ब्रिटास, ए ए रहीम, वी शिवदासन (सभी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) और द्रविड़ मुनेत्र कषगम के टी शिवा के नियम 267 संबंधी नोटिस भी एक जैसे हैं। उन्होंने कहा कि के. केशव राव (टीआरएस), इलामारम करीम (माकपा), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी) और प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना) ने भी नियम नोटिस 267 के तहत नोटिस दिए हैं।
उन्होंने संसद को लोकतंत्र का सार और लोकतंत्र का ध्रुवतारा बताते हुए कहा कि यह स्थान व्यवधान का नहीं बल्कि चर्चा और बहस का स्थान है ताकि लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके।
उन्होंने कहा कि सदन नियमों से चलता है और उन्होंने सभी नोटिस पर गौर किया। उन्होंने पिछले साल आठ दिसबंर को दी गयी अपनी व्यवस्था का हवाला देते हुए कहा कि इनमें से कोई भी नोटिस स्वीकार किए जाने की अनिवार्यताओं को पूरा नहीं करता है, लिहाजा उन्होंने इन्हें अस्वीकार कर दिया है।
उनके ऐसा कहते ही विपक्षी दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
धनखड़ ने सदस्यों से सदन में शांति और व्यवस्था बहाल करने का अनुरोध किया ताकि पहले से निर्धारित कामकाज पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि कई सदस्यों को शून्यकाल और विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व से जुड़े अपने-अपने मुद्दे उठाने हैं।
लेकिन हंगामा कर रहे सदस्यों पर उनकी बात का कोई असर नहीं हुआ जिसके बाद धनखड़ ने सदन की कार्यवाही 11 बजकर आठ मिनट पर दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
एक बार के स्थगन के बाद ढाई बजे बैठक शुरु होने पर भी सदन में शोरगुल जारी रहा और विपक्षी सदस्य नियम 267 के तहत चर्चा कराने की मांग करते रहे। हंगामे के बीच ही सभापति धनखड़ ने गैर-सरकारी कामकाज शुरू कराने का प्रयास किया। लेकिन विपक्षी सदस्यों ने नियम 267 के तहत अपने नोटिस को लेकर हंगामा शुरू कर दिया।
सभापति ने हंगामे पर अप्रसन्नता जताते हुए कहा कि एक बार जब उन्होंने इस संबंध में व्यवस्था दे दी है तो सदस्यों को उसका पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संसदीय परंपरा रही है कि आसन द्वारा दी गई व्यवस्था का सदस्य पालन करते हैं।
उन्होंने कहा कि लाखों लोग चाहते हैं कि सदन में चर्चा हो। उन्होंने सदस्यों से सदन में व्यवस्था बनाए रखने की अपील की। हंगामे के बीच ही उन्होंने आप सदस्य संजय सिंह को आगाह किया। उन्होंने आगाह किया कि आसन के समीप आकर हंगामा करने वाले सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
सदन में हंगामा नहीं थमते देख उन्होंने दो बजकर 33 मिनट पर कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी।
उच्च सदन में हंगामे की वजह से आज भी शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाए।
विपक्षी दलों के सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले पर चर्चा और आरोपों की जांच कराए जाने की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों की मांग है कि पूरे मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा या फिर उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच हो।
इस विषय पर चर्चा कराने तथा इसकी जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित किए जाने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने बृहस्पतिवार को भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा किया था जिससे कार्यवाही बाधित रही थी।
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