इस्लामाबाद, 15 जनवरी : पाकिस्तान ने शुक्रवार को जारी अपनी पहली राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत के साथ संबंधों में सुधार की इच्छा जतायी और हिन्दुत्व आधारित नीतियों, हथियार जमा करने की होड़ और लंबित विवादों के एकतरफा हल थोपने की एकपक्षीय कोशिशों को इसमें प्रमुख बाधा बताया है. राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के अध्याय सात में ‘बदलती दुनिया में विदेश नीति’ शीर्षक के तहत भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों, कश्मीर मुद्दा और अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बात की गई है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 110 पन्नों के इस दस्तावेज का अनावरण किया, जिसमें कहा गया है, ‘‘देश-विदेश में शांति नीति के तहत पाकिस्तान, भारत के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहता है.’’
हालांकि, उसने कहा कि ‘‘जम्मू कश्मीर मुद्दे का न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान हमारे द्विपक्षीय संबंधों के केंद्र बिंदु में रहेगा.’’ उसमें कहा गया है कि ‘‘भारत में हिन्दुत्व आधारित नीतियों का बढ़ना गंभीर चिंता का विषय है और इससे पाकिस्तान की सुरक्षा पर तत्काल प्रभाव पड़ता है.’’ उसमें कहा गया है, ‘‘भारत में हथियारों का बढ़ता जखीरा, अत्याधुनिक तकनीकों तक उसकी पहुंच और परमाणु निरस्त्रीकरण से छूट, पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय है.’’ दस्तावेज के अनुसार, ‘‘लंबित मामलों पर एकतरफा नीतिगत कार्रवाई का भारत का प्रयास एकपक्षीय हल थोपने का प्रयास है जिनका क्षेत्रीय स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है.’’ यह भी पढ़ें : Omicron: इजरायल में ओमिक्रॉन के नए वेरिएंट के 20 मामलों का पता चला
नीति में यह भी कहा गया है कि अपनी चिंताओं के बावजूद पाकिस्तान ‘‘सभी लंबित मुद्दों का हल बातचीत के जरिए निकालने में यकीन करता है, हालांकि भारत के हालिया कदम इस दिशा में महत्वपूर्ण अवरोधक के रूप में काम कर रहे हैं.’’
दस्तावेज में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान परस्पर सम्मान, सम्प्रभु समानता और मुद्दे का हल निकालने के समेकित प्रयास के आधार पर पड़ोसियों के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. उसका मानना है कि साझा आर्थिक अवसर पाकिस्तान और क्षेत्र की समृद्धि के लिए नींव का पत्थर की तरह हैं.’’