नयी दिल्ली, 10 अप्रैल कोरोना वायरस महामारी के एक वैश्विक चुनौती के रूप में उभरने के मद्देनजर ‘रिलीजन फॉर पीस’ (आरपीएफ) एवं संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने एक वैश्विक बहु-धार्मिक पहल के लिये हाथ आपस में हाथ मिलाया है।
इस पहल का उद्देश्य बच्चों पर पड़ने वाले इस महामारी के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनिरिटा फोर और आरपीएफ ने इस सिलसिले में एक संयुक्त बयान जारी किया है।
बयान में कहा गया है कि ईस्टर, रमजान और बैसाखी पर्व के समय यूनिसेफ और आरपीएफ ने एक साथ आकर कोविड-19 के प्रति वैश्विक बहु-धार्मिक आस्था की एक नयी पहल की है, ताकि विश्व में बच्चों पर पड़ने वाले इस महामारी के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।
यह पहल सभी सरकारों, संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्थाओं, नागरिक समाज संगठनों के साथ पूरे विश्व के समुदायों को अपने साथ जुड़ने का आह्वान करती है।
बयान में कहा गया है, ‘‘यह महामारी जिस तेज़ी से फैल रही है और जिस बड़े पैमाने पर मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है... उसे देखते हुए हम बच्चों, परिवारों तथा विशेष रूप से बालिकाओं के लिए बढ़ रहे संकट को लेकर चिंतित हैं।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘इस समय बच्चे अपने स्वास्थ्य तथा सुरक्षा के समक्ष आने वाली कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं : इनमें विद्यालयों का बंद होना, तनाव बढ़ना, हिंसा के बढ़ते खतरे तथा भोजन की बढ़ती असुरक्षा शामिल है। साथ ही, टीकाकरण सेवाओं में आयी रुकावट के कारण अन्य बीमारियां भी बढ़ती नजर आ रही हैं।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘इस समय परिवारों की आय बंद होने से उन पर जबरदस्त संकट आ गया है। उनकी वित्तीय ज़रूरतें बढ़ी हैं एवं उन्हें आवश्यक वस्तुओं के लिए सहायता की आवश्यकता है।’’
इस पहल का समन्वय ‘ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन फेथ एंड पॉजीटिव चेंज फॉर चिल्ड्रन’, परिवारों तथा समुदायों द्वारा किया जा रहा है।
इन समुदायों में आरपीएफ की अंतर-धार्मिक परिषद भी शामिल है, जिसमें बहाई, बौद्ध, ईसाई, हिंदू, इस्लाम, जैन, यहूदी, सिख, पारसी जैसी विश्व की धार्मिक तथा आध्यात्मिक परंपराओं तथा देशी आध्यात्मिक परंपराओं के धर्मगुरु शामिल हैं।
इसमें युवाओं एवं महिलाओं के अंतर-धार्मिक नेटवर्क भी शामिल हैं।
इस पहल के तहत विभिन्न देशों की सरकारों के साथ विश्व से, संयुक्त राष्ट्र की संस्था और नागरिक समाज संगठनों से कुछ कदम उठाने की भी अपील की गई है, जिनमें सामाजिक मेल जोल से दूरी, धार्मिक रीति रिवाजों के दौरान अंतरराष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों के दिशानिर्देशों का पालन करना, स्वच्छता पर अधिक ध्यान देना, बच्चों तथा परिवारों से संवाद करना, इस महामारी के फैलने से जुड़े सभी तरह के कलंक एवं भेदभाव को खत्म करना आदि शामिल हैं।
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