नयी दिल्ली, छह अक्टूबर स्वच्छ भारत अभियान की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर सरकार अब अपने प्रयासों का विस्तार करने की योजना बना रही है, जिसमें न केवल खुले में शौच को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, बल्कि अधिक व्यापक स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन रणनीतियों को भी केंद्र में रखा जाएगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी।
स्वच्छ भारत अभियान खुले में शौच को समाप्त करने, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार लाने तथा खुले में शौच से मुक्त गांव बनाने के लिए 2014 में सरकार द्वारा शुरू किया गया एक देशव्यापी अभियान है।
जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की सचिव विनी महाजन ने अभियान की भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अब इन प्रयासों का का विस्तार करने की योजना बनाई जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत देश को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए हुई थी क्योंकि यह स्वीकार किया गया कि यह प्रथा एक बड़ा अभिशाप है जिसे हमें समाप्त करना होगा। हालांकि, इस लक्ष्य में प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी उन परिवारों की पहचान करने की आवश्यकता है जिनके पास शौचालय नहीं हैं और यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें शौचालय मिले। मौजूदा शौचालयों को चालू रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।’’
महाजन ने विशिष्ट जरूरतों के अनुरूप कार्य करने के महत्व पर बल दिया, जैसे कि दिव्यांगों के लिए सुलभ शौचालय का निर्माण। उन्होंने इस संबंध में राज्य सरकारों के साथ जारी विचार-विमर्श को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, ‘‘व्यवहार में बदलाव अभियान का एक महत्वपूर्ण घटक है। जब पूरी सरकार इन बिंदुओं पर जोर देने के लिए एक साथ काम करती है, तो हम महत्वपूर्ण बदलाव देखते हैं, जिसकी पुष्टि हमारे स्वतंत्र आकलन से होती है कि यह सतत तरीके से हो रहा है।’’
महाजन ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान के अगले चरण का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि मल-जल प्रबंधन के मुद्दे से निपटा जा रहा है, तथा यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं कि शौचालयों से निकलने वाला अपशिष्ट खुली नालियों में न जाए।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मलजल के उचित प्रबंधन तथा एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) और एफएसटीपी (मल जल उपचार संयंत्र) जैसी उपचार सुविधाएं स्थापित करने की दिशा में काम किया जा रहा है।’’
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