संयुक्त राष्ट्र, 27 मई भारत के पूर्वी तट पर चक्रवाती तूफान यास के तबाही मचाने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने कहा कि यदि भारत के अधिकारी अनुरोध करते हैं तो संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियां इससे निबटने के प्रयासों में सहयोग को तैयार हैं।
उन्होंने चिंता जताई कि कोविड-19 महामारी के बीच आपातकालीन शिविरों में लोगों के बीच एक निश्चित दूरी नहीं रहने तथा टीकाकरण कार्यक्रम अस्थायी रूप से निलंबित होने से स्वास्थ्य संकट और गहरा सकता है।
महासचिव के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को दैनिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘‘चक्रवाती तूफान यास से इस समय प्रभावित दक्षिण एशिया से हमारे मानवीय सहायता कर्मी हमें बता रहे हैं कि उन्होंने तूफान से निबटने की तैयारियां की हैं और खाद्य तथा अन्य सामग्रियों के भंडार जमा कर लिए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तूफान कल भारतीय राज्य ओडिशा में पहुंचा और इसके आने से पहले सरकार ने लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। अगर राज्य के अधिकारी अनुरोध करते हैं तो संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां एवं भारत में हमारे सहयोगी इससे निबटने के प्रयासों में सहयोग देने को तैयार हैं।’’
दुजारिक ने कहा कि नेपाल में संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता कर्मियों ने बताया कि वहां भी आने वाले कुछ घंटों में भारी बारिश हो सकती है तथा बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनाओं की आशंका है।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में हमारे सहयोगियों ने बताया कि तूफान ने कॉक्स बाजार को प्रभावित नहीं किया है, लेकिन वे सीमावर्ती इलाकों में तूफान के प्रभाव तथा तटबंधों के टूटने की आशंका के कारण हालात पर करीब से नजर रख रहे हैं।
कॉक्स बाजार में दुनिया का सबसे बड़ा शरणार्थी शिविर है जहां करीब दस लाख रोहिंग्या प्रवासी रह रहे हैं।
दुजारिक ने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं कि भारत, बांग्लादेश और नेपाल सभी कोविड-19 महामारी से जूझ रहे हैं। हमें फिक्र है कि आपातकालीन आश्रय स्थलों में सामाजिक दूरी की कमी तथा टीकाकरण अभियान के अस्थायी निलंबन के कारण पहले से ही जटिल हो रहे प्रयास और पेचीदा हो सकते हैं।’’
चक्रवाती तूफान यास ने 145 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली हवाओं के साथ बुधवार को भारत के पूर्वी तटीय क्षेत्र में दस्तक दी थी। इससे कम से कम चार लोगों की मौत हो गई तथा बड़ी संख्या में मकान तबाह हो गए एवं खेत जलमग्न हो गए। इसके कारण पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड राज्यों में 21 लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
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