बेंगलुरु, 12 अप्रैल सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर ने बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सामग्री हटाने संबंधी विभिन्न आदेशों को चुनौती देने वाली उसकी याचिका सुनवाई योग्य है।
कंपनी ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में तर्कसंगतता की अवधारणा इस पर लागू है।
ट्विटर की ओर से पेश अधिवक्ता मनु कुलकर्णी ने न्यायमूर्ति कृष्ण एस. दीक्षित की एकल-न्यायाधीश पीठ के समक्ष कहा कि ‘श्रेया सिंघल मामले’ में सर्वोच्च न्यायालय ने व्याख्या की थी कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए में संविधान के अनुच्छेद 19 को निहित माना गया है।
उन्होंने दलील दी कि मेरा कार्यालय बेंगलुरू में है और सेवाएं भारत में प्रदान की जाती हैं, इसलिए मैं भारत में व्यवसाय कर रहा हूं।
उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार और ट्विटर से इस मुद्दे को स्पष्ट करने को कहा कि इस तरह के मुद्दों पर अमेरिका और विदेशी न्यायालयों में भारतीय संस्थाओं के साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा।
बुधवार को ट्विटर ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत, विदेशी नागरिकों को अमेरिका में अदालतों तक पहुंचने का संवैधानिक अधिकार था।
न्यायालय ने बताया कि भारतीय संविधान में एक समान प्रावधान अनुपस्थित था।
कुलकर्णी ने कहा कि नागरिक प्रक्रिया संहिता की धारा 83 से 87 अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद 3 के समान हैं।
ट्विटर के वकील ने कहा कि सामग्री हटाने से संबंधित मामलों में सरकार द्वारा आपत्तियों का बयान असंगत था, और दिशानिर्देशों के एक ढांचे की आवश्यकता हो सकती है।
इस मामले में अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी।
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