नयी दिल्ली, पांच अप्रैल तृणमूल कांग्रेस के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात करने और पश्चिम बंगाल में श्रमिकों के लिए लंबित महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) कोष का मुद्दा उठाने में असमर्थ होने के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत की।
लोकसभा सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, सांसद मोहुआ मोइत्रा और डोला सेन सहित कुछ अन्य नेता शामिल थे।
बनर्जी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘‘हम बंगाल के 17 लाख परिवारों को भाजपा के हाथों उनके अधिकार से वंचित नहीं होने देंगे। जब तक मनरेगा फंड जारी नहीं किया जाता, तब तक हम अपनी आवाज उठाते रहेंगे। आश्वासन के बिना, हम नहीं छोड़ेंगे। हम यहां चाय और नाश्ते के लिए नहीं आए हैं।’’
उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं ने मंत्री से बात की थी और उन्हें बुधवार को उनसे मिलने के लिए कहा गया था।
बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझे बताया गया कि वह आज संसद गए हैं। हम यहां तब आए जब संसद की कार्यवाही स्थगित हो गई। हम 10-12 दिनों तक इंतजार करेंगे और अगर वह कोष जारी नहीं करते हैं तो हम सड़कों पर उतरेंगे।’’
तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद इस मुद्दे पर एक ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन में कहा गया है कि 12 मई, 2022 को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत राज्य के बकाये पर ध्यान केंद्रित किया था। इसमें कहा गया है कि इस विषय पर एक और पत्र नौ जून 2022 को लिखा गया था।
इसके बाद, तृणमूल सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर 16 जून, 2022 को मंत्री से मुलाकात की थी।
ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘हमें आपको सूचित करते हुए खेद हो रहा है कि बार-बार अपील के बावजूद बंगाल को बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है। अप्रैल 2023 तक, मनरेगा, पीएमजीएसवाई, पीएमएवाई (जी) और एनएसएपी जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत बंगाल का बकाया लगभग 12,300 करोड़ रुपये है।
पार्टी ने यह भी कहा कि मनरेगा संसद के एक अधिनियम द्वारा गारंटीयुक्त एक अधिकार है और केंद्र सरकार कार्य दिवस को मंजूरी न देकर और भुगतान में देरी करके लोगों के अधिकारों को रोक नहीं सकती है।
ज्ञापन में कहा गया कि केंद्र सरकार को आवास योजना के तहत देय सभी धनराशि जारी करने की भी आवश्यकता है ताकि बंगाल को अब अपने लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में किसी भी बाधा का सामना न करना पड़े और पर्याप्त आवास सुविधाएं प्रदान की जा सके।
इसमें कहा गया है, ‘‘हम आपसे मनरेगा अधिनियम की धारा 27 को रद्द करने और बंगाल को बकाया राशि जारी करने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह करते हैं। इसके अलावा, 2022-23 और 2023-24 (बंगाल के लिए) के श्रम बजट में आपकी तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। यह 1.4 करोड़ सक्रिय वेतन भोगियों की दुर्दशा को दूर करने और यह सुनिश्चित करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा कि बंगाल में गरीब परिवार अपने काम के अधिकार को न खोएं।’’
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