ऋषिकेश, नौ नवंबर उत्तराखंड के चीला-मोतीचूर वन्यजीव गलियारे में पहली बार एक बाघ का आवागमन दर्ज किया गया है।
वन्यजीव गलियारे के निदेशक साकेत बडोला ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले सप्ताह एक बाघ राजाजी बाघ अभयारण्य के पूर्वी छोर के जंगल से पश्चिमी छोर की तरफ आया और चीला और मोतीचूर के बीच लगे कैमरे में उसके आने की तस्वीर पहली बार कैद हुई।
बडोला ने बताया कि ऋषिकेश-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर मोतीचूर के सामने बने फ्लाईओवर के नीचे अंडरपास बनाये गए थे, जिनका प्रयोग हाथी से लेकर अन्य वन्यजीव तो कर रहे थे लेकिन इसमें बाघों का आवागमन दर्ज नहीं किया गया था।
उन्होंने कहा कि चीला जोन में बाघों की आबादी काफी होने के बावजूद बाघ इस गलियारे का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे लेकिन अब पहली बार किसी बाघ ने गलियारे का इस्तेमाल किया और वह कैमरे में भी कैद हो गया।
वन अधिकारी ने कहा कि बाघ जब भी कहीं आवागमन करता है तो वह अपने पेशाब तथा अन्य प्रकार की गंध छोड़ता चलता है, जिससे अन्य बाघों के भी गलियारे के प्रति आकर्षित होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि अगर यह हुआ तो अभयारण्य के पश्चिमी भाग के मोतीचूर, कांसरो, बेरिवाड़ा, धौलखंड सहित समीपवर्ती वन प्रभागों में आने वाले समय में बाघों की आबादी बढ़ने की उम्मीद लगाई जा सकती है।
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