देश की खबरें | जम्मू कश्मीर के पुलवामा में मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादी ढेर
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श्रीनगर, तीन जून दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में बुधवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का एक शीर्ष आईईडी विशेषज्ञ अब्दुल रहमान उर्फ ‘फौजी भाई’ और दो अन्य स्थानीय आतंकवादी मारे गए। इसकी जानकारी पुलिस ने दी।
पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल रहमान उर्फ फौजी भाई उर्फ फौजी बाबा का मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता है क्योंकि वह जैश-ए-मोहम्मद के लिए आईईडी उपकरण तैयार करने में माहिर था।’’
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कुमार ने कहा कि मारा गया जैश का आतंकवादी दक्षिण कश्मीर में 2017 से सक्रिय था और वह पूर्व में हिंसा प्रभावित अफगानिस्तान में गठबंधन बलों के खिलाफ सक्रिय रह चुका था।
उन्होंने दावा किया कि जब सुरक्षा बलों ने गत 28 मई को पुलवामा में आईईडी से लदी कार को रोका था तब फौजी बाबा फरार होने में सफल रहा था ।
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उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हमने उस दिन आपसे वादा किया था कि हम उस तक जल्द पहुंचेंगे। आज हमने वह किया। मैं यह निश्चित तौर पर नहीं कह सकता कि वह 2019 में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले में शामिल था या नहीं लेकिन यह निश्चित है कि वह उस समय पुलवामा में सक्रिय था।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या फौजी बाबा जैश प्रमुख मसूद अजहर का रिश्तेदार है, कुमार ने कहा, ‘‘इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। यह केवल आप (टेलीविजन चैनलों पर) चला रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि कश्मीर में जैश के गुट में कम से कम दो और आईईडी विशेषज्ञ ... वालिद भाई और लंबू भाई हैं, और सुरक्षा बल के जवान उन तक पहुंचने पर भी काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस वर्ष कई बड़ी सफलताएं मिली हैं क्योंकि हमने हिजबुल मुजाहिद्दीन के शीर्ष कमांडर रियाज नाइकू और पोस्टर बॉय जुनैद सहराई, हंदवारा में लश्कर प्रमुख हैदर और अब फौजी बाबा का खात्मा किया है।’’
सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि फौजी बाबा का असली नाम इकराम है और वह जैश ए मोहम्मद के शीर्ष कमांडर अब्दुल रऊफ असगर का विश्वासपात्र था जो 1999 में हुए इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 के अपहरण के मामले में वांछित है।
असगर जैश ए मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर का छोटा भाई है जिसे 31 दिसम्बर 1999 में तत्कालीन भाजपा नीत सरकार ने अपहृत विमान के यात्रियों की रिहाई के बदले में छोड़ा था।
फौजी भाई ने आतंकी संगठन को पुनर्जीवित करने और सुरक्षा तंत्र पर बड़े हमले शुरू करने के लिए जैश के अन्य आतंकवादियों के साथ घुसपैठ की थी।
यह समूह दक्षिण कश्मीर चला गया और पुलवामा के त्राल, राजपोरा और ख्रयू क्षेत्रों में अपने आधार स्थापित किया और स्थानीय आतंकवादियों के साथ मिल गया। बड़े हमलों में बड़े आईईडी हमले और एम4 स्नाइपर हमले शामिल थे।
उसकी गतिविधि चेवा कलां और राजपोरा के क्षेत्रों तथा बडगाम के चदूरा क्षेत्र में होने का कई बार पता चला। यह भी पता चला कि वह यूबीजीएल वाली एक राइफल तथा संचार के लिए सेटेलाइट फोन साथ रखता है।
कुमार ने कहा कि फौजी बाबा अपने दो अन्य सहयोगियों के साथ बुधवार सुबह पुलवामा के कंगन क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया। उन्होंने कहा कि मारे गए दो अन्य आतंकवादियों की पहचान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। इन आतंकवादियों के संभावित माता-पिता को उनकी पहचान के लिए बुलाया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि उनकी पहचान हो जाती है तो उनके परिवार को बारामुला में उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत दी जाएगी। यदि उनकी पहचान नहीं हो पाती है तो हम शवों का पोस्टमार्टम कराकर उनके डीएनए नमूने एकत्रित कर लेंगे।’’
एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद इलाके की घेराबंदी की और वहां तलाशी अभियान चलाया।
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि इलाके की घेराबंदी करने के बाद आतंकवादियों को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाईं।
प्रवक्ता ने बताया कि सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की और मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए।
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