जयपुर, 27 मई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनाव से पहले पार्टी छोड़ने वाले नेताओं पर सोमवार को निशाना साधते हुए उन्हें ‘अवसरवादी’, ‘निक्कमा-नाकारा’ और ‘गद्दार’ बताया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की यह खासियत है कि संकट में साथ देने वालों को कुछ मांगने की जरूरत नहीं रहती हालांकि ‘गद्दारी’ करने वाले भी पार्टी में बने रहते हैं।
गहलोत ने कहा, ‘‘चाहे अवसरवादी कहें, निकम्मा, नकारा या गद्दार कह दें .. ये तमाम शब्द भाई बहन हैं। इनका उपयोग इन लोगों के लिए होता है।’’
पूर्व मुख्यमंत्री यहां मीडिया के इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वालों को वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल नेता अवसरवादी और ‘‘नॉन परफॉर्मिंग एसेट’’ (पार्टी के लिए बोझ)हैं।
यहां प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में संवाददाताओं से बातचीत में गहलोत ने कहा,‘‘ ये अवसरवादिता होती है ना .. नॉन परफार्मिंग एसेट कह दो उनको, अवसरवादी कह दो, निकम्मे कह दो, नकारा कह दो, गद्दार कह दो, पीठ में छुरा घोंपने वाले कह दो.. ये तमाम शब्द भाई बहन हैं। इनका उपयोग इन लोगों के लिए होता है। जो गद्दारी करता है वो गद्दार है ही।’’
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा में जाने वाले नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा यह संकट के समय पार्टी के लिए काम करने का समय था लेकिन वे पांच साल राज करने के बाद छोड़ गए।
लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में तीन पूर्व मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीया, लाल चंद कटारिया और राजेंद्र यादव समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भाजपा में शामिल हुए थे। गहलोत ने 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान पार्टी नेता सचिन पायलट के लिए इन शब्दों का इस्तेमाल किया था। उस समय वह मुख्यमंत्री थे और पायलट उपमुख्यमंत्री थे।
गहलोत ने कहा कि जब इंदिरा गांधी के समय एक बार कांग्रेस संकट में थी और पार्टी को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा तब उन्होंने तथा अन्य नेताओं ने पार्टी के लिए काम किया और ऐसे सभी नेताओं ने 40-42 साल तक केंद्रीय मंत्री, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री जैसे विभिन्न पदों पर रहे।
उन्होंने कहा, ‘‘ये कांग्रेस की खासियत है, गांधी परिवार की खासियत है... जो संकट में साथ देता है उसको मांगने की जरूरत नहीं रहती।’’
बिना किसी का नाम लिए उन्होंने कहा, ‘‘जो गद्दारी करते हैं, पीठ में छुरा घोंपते हैं.. वे भी पार्टी में रहते हैं। पर ये अवसरवादिता होती है। मैं कहना चाहूंगा...वो इस तरह व्यवहार करें जिससे की आने वाले 15-20 साल बाद वो एसेट (कांग्रेस पार्टी के लिए मूल्यवान हों) बन जाएं न कि लायबिलिटी (बोझ)।”
गहलोत ने कहा कि वह चाहते हैं कि पार्टी का हर कार्यकर्ता और नेता सफल हो। उन्होंने कहा,‘‘मैं चाहता हूं कि हर कार्यकर्ता, नेता कामयाब हो। वो कामयाब होंगे तो कांग्रेस मजबूत होगी। इसलिए वें एस्सेट बने।’’
गहलोत ने कहा कि अगर पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाला कोई भी उम्मीदवार जीतता है, तो उसकी जीत राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे... नेता राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के खाते में जाएगी।
गहलोत के अनुसार उन्होंने कभी भी पार्टी के घोषित उम्मीदवार को हराने की कोशिश नहीं की हालांकि कुछ लोग (पार्टी उम्मीदवारों को हराने के लिए) ऐसे प्रयास करते हैं।
जब उनसे राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत के उस बयान के बारे में पूछा गया कि राज्य में कुछ मुस्लिम जातियों को ओबीसी में दिए गए आरक्षण की समीक्षा की जाएगी, तो उन्होंने कहा कि यह आरक्षण ओबीसी आयोग की सिफारिशों के आधार पर दिया गया था। उन्होंने कहा कि मंत्री कुछ भी कहें, कुछ नहीं होगा।
मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा था कि कांग्रेस ने तुष्टीकरण की राजनीति के तहत 1997 से 2013 तक मुस्लिम जातियों को ओबीसी आरक्षण दिया और अब इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण की समीक्षा करेगी।
उन्होंने राज्य की भजनलाल शर्मा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वह दिल्ली से ‘रिमोट कंट्रोल’ से चल रही है। उन्होंने कहा कि ‘‘मुख्यमंत्री नए-नए बने हैं उन्हें अच्छे सलाहकारों की जरूरत है। जिससे वे कामयाब हो सकें। अगर वे दिल्ली के रिमोट से चलेंगे तो कभी कामयाब नहीं हो सकेंगे।... कुर्सी सब सिखा देती है... वे घबराएं नहीं,अगर घबराएंगे तो जांएगे। कोई न कोई बहाना करके उनको हटा देंगे।’’
उन्होंने चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की को लेकर उन पर निशाना साधते हुए कहा कि कोई सोच भी नहीं सकता कि प्रधानमंत्री ऐसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में हो रहे आम चुनाव पर पूरी दुनिया की नजर है। गहलोत ने कहा,‘‘प्रधानमंत्री जी की लोगों को पसंद नहीं आई। प्रधानमंत्री पद की गरिमा होती है। ये पद देश का होता है। पूरा देश सम्मान करता है। हम भी सम्मान करते हैं। उस पद की गरिमा को गिराने का अधिकार नरेन्द्र मोदी जी को भी नहीं है। जिस प्रकार बांसवाड़ा में बोले थे... उसके बाद लगातार जो बोल रहे हैं वो भी उनकी हार का बहुत बड़ा कारण बनेगा।”
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