जमा बीमा के लिए जोखिम आधारित प्रीमियम पर विचार करने की गुंजाइश: स्वामीनाथन
Soumya Swaminathan(IMG: PTI)

जयपुर, 14 अगस्त : भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बुधवार को कहा कि जमा बीमा के लिए जोखिम से जुड़ी प्रीमियम व्यवस्था विचार करने लायक मामला है. इससे उच्च जोखिम वाले संस्थानों के बीमा कोष में अधिक योगदान देना सुनिश्चित हो सकेगा. उन्होंने यहां एक सम्मेलन में यह भी कहा कि जैसे-जैसे वित्तीय क्षेत्र अधिक डिजिटल होता जा रहा है, जमा बीमाकर्ताओं को निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नियामकों और पर्यवेक्षकों के साथ मिलकर काम करने की जरूरत बढ़ रही है. इसमें डिजिटल भुगतान, साइबर सुरक्षा और फिनटेक (वित्तीय प्रौद्योगिकी) नवोन्मेषों से जुड़े उभरते जोखिमों को शामिल करने के लिए नियामकीय ढांचे को नियमित रूप से अद्यतन करना शामिल है. सक्रिय रुख अपनाकर जमा बीमाकर्ता यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि उनके दायरे में आने वाले वित्तीय संस्थान इन जोखिमों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार हैं. इससे जमाकर्ताओं का भरोसा बना रहेगा.

स्वामीनाथन जमा बीमाकर्ताओं के अंतरराष्ट्रीय संघ-एशिया प्रशांत क्षेत्रीय समिति (आईएडीआई-एपीआरसी) के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इसका आयोजन जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ने किया था. उन्होंने कहा कि जमा बीमा के लिए जोखिम-आधारित प्रीमियम व्यवस्था को लागू करने को लेकर विचार करने का मामला बनता है. डिप्टी गवर्नर ने कहा, ‘‘बीमा प्रीमियम को व्यक्तिगत वित्तीय संस्थानों में उत्पन्न जोखिम के स्तर से जोड़कर, जमा बीमाकर्ता बैंकों को मजबूत जोखिम प्रबंधन गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह दृष्टिकोण न केवल वित्तीय प्रणाली की समग्र स्थिरता को बढ़ाता है बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उच्च जोखिम वाले संस्थान बीमा कोष में अधिक योगदान दें.’’ यह भी पढ़ें : महाराष्ट्र पुलिस को 59 पदक, नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए उपनिरीक्षक समेत 17 को वीरता पदक

आरबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने जमा बीमाकर्ताओं से संकट की तैयारियों को प्राथमिकता देने और प्रौद्योगिकी-प्रेरित व्यवधानों से निपटने के लिए व्यापक तौर पर आकस्मिक योजनाएं तैयार करने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा, ‘‘इसमें वित्तीय संस्थानों और व्यापक वित्तीय प्रणाली पर साइबर घटनाओं या फिनटेक विफलताओं के संभावित प्रभाव का आकलन करने के लिए नियमित दबाव परीक्षण शामिल है.’’ विकसित हो रहा तकनीकी परिदृश्य जमा बीमाकर्ताओं के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है. डिप्टी गवर्नर ने कहा कि बेहतर निगरानी, जोखिम से जुड़ा प्रीमियम आदि समेत जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाकर जमा बीमाकर्ता इन जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं.