Joshimath Sinking: जोशीमठ के अति निकटवर्ती क्षेत्र में कोई जल विद्युत परियोजना नहीं- केंद्रीय मंत्री आर के सिंह

सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि उत्तराखंड के जोशीमठ नगर के अति निकटवर्ती क्षेत्र में कोई जल विद्युत परियोजना नहीं है और तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना भी उस स्थान से काफी दूर है जहां पिछले दिनों जमीन धंसने की घटना हुई थी.

Joshimath Sinking (Photo : ANI)

नयी दिल्ली, दो फरवरी : सरकार ने बृहस्पतिवार को बताया कि उत्तराखंड के जोशीमठ (Joshimath) नगर के अति निकटवर्ती क्षेत्र में कोई जल विद्युत परियोजना नहीं है और तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना भी उस स्थान से काफी दूर है जहां पिछले दिनों जमीन धंसने की घटना हुई थी. लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी के प्रश्न के लिखित उत्तर में विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने यह जानकारी दी. सिंह ने कहा, ‘‘जोशीमठ क्षेत्र में जमीन धंसने की घटना से तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना अप्रभावित है. फिर भी जिला प्रशासन ने परियोजना स्थल पर निर्माण गतिविधियों को अगले आदेश तक स्थगित रखने के लिए पांच जनवरी 2023 को एक आदेश जारी किया है.’’

मंत्री ने कहा कि वर्तमान में देश में विभिन्न राज्यों के हिमालयी क्षेत्र में कुल 11,137.50 मेगावाट की स्थापित क्षमता की 30 बड़ी जल विद्युत परियोजनाएं विकसित की जा रही हैं जो 25 मेगावाट स्थापित क्षमता से अधिक हैं. इन परियोजनाओं में से कुल 10,381.50 मेगावाट की 23 जल विद्युत परियोजनाएं सक्रिय रूप से निर्माणाधीन हैं और कुल 756 मेगावाट की 7 जल विद्युत परियोजनाएं रुकी हुई हैं. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही देश में विभिन्न राज्यों के हिमालयी क्षेत्र में कुल 22,982 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली 87 जल विद्युत परियोजनाएं परिचालित हैं. सिंह ने कहा कि 25 मेगावाट से अधिक की कोई भी जल विद्युत परियोजना पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करने से पूर्व आरंभ नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि इसे पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा किसी विशेष मूल्यांकन समिति द्वारा व्यापक जांच परख के बाद ही स्वीकृति प्रदान की जाती है. यह भी पढ़ें : Bangalore: सहयोगी से प्रताड़ित लखनऊ की दंत चिकित्सक ने बेंगलुरु में की आत्महत्या

विद्युत, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने कहा कि परियोजना प्रस्ताव का केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा सुरक्षा दृष्टिकोण से भी मूल्यांकन किया जाता है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, वैधानिक सहमति देने से पूर्व, भारतीय भू वैज्ञानिक सर्वेक्षण तथा केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला सहित अन्य मूल्यांकन एजेंसियों के साथ परियोजना प्रस्ताव की जांच करता है. उन्होंने बताया कि इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि जल विद्युत परियोजना का निर्माण आरंभ होने से पहले सभी आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त की जा चुकी हैं. गौरतलब है कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद पिछले महीने अनेक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था तथा वहां निर्माण कार्य पर रोक लगा दिया गया था.

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