जयपुर, सात दिसम्बर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में यहां सोमवार रात मंत्रिपरिषद की बैठक हुई जिसमें कोरोना वायरस टीकाकरण की व्यवस्थाओं पर चर्चा की गयी तथा पांच श्रेणियों में भूजल दोहन के लिए 'एनओसी' में छूट सहित कई फैसले किए गए।
बैठक के बाद जारी एक बयान के अनुसार मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य में कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए टीकाकरण अभियान की तैयारियों पर चर्चा की गई। मंत्रिपरिषद ने टीकाकरण के लिए भारत सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप टीकों के बेहतर प्रबंधन, शीतगृह व भंडारण व्यवस्था, प्राथमिकता का निर्धारण और मानव संसाधन की उपलब्धता आदि विषयों पर विचार किया।
मंत्रिपरिषद ने भू-जल दोहन के लिए एक बड़ा निर्णय लेते हुए पांच श्रेणियों में भू-जल निकासी के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की अनिवार्यता हटा दी है। इससे किसानों, आम लोगों तथा सूक्ष्म व लघु उद्यमियों को बड़ी राहत मिलेगी।
इसके साथ ही राज्य मंत्रिपरिषद ने जन सुनवाई की व्यवस्था को अधिक संवेदनशील और निचले स्तर तक प्रभावी बनाने के लिए त्रिस्तरीय प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया। इस संबंध में विस्तृत रूपरेखा तैयार करने के लिए कैबिनेट की उप समिति का गठन किया जाएगा।
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मंत्रिपरिषद ने राज्य में आमजन को खनिज बजरी का सस्ता व सुगम विकल्प उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ‘मैन्युफैक्चर्ड सैंड’ (एम सैंण्ड) नीति का भी अनुमोदन किया है। अनुमोदित नीति के तहत एम-सैंड इकाई को उद्योग का दर्जा दिया जाएगा।
इसके साथ ही भूतपूर्व सैनिकों के हित में उनके राजकीय सेवाओं में नियोजन के लिए आरक्षण के प्रावधानों में कई संशोधनों को भी मंजूरी दी गयी। इसी प्रकार नौ कॉलेजों को राज्य सरकार के अधीन करने के लिए भी स्वीकृति दी गयी।
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