America: तालिबान की कार्रवाइयों पर निर्भर करेगा अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ उसका संबंध - एंटनी ब्लिंकन
अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि तालिबान के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संबंध उसकी कार्रवाइयों से परिभाषित होने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ‘‘ दुनिया के लिए कोई एहसान नहीं है ’’ बल्कि स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान एक बुनियादी आवश्यकता है.
न्यूयॉर्क , 24 सितंबर : अमेरिका (America) के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि तालिबान के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ संबंध उसकी कार्रवाइयों से परिभाषित होने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह ‘‘ दुनिया के लिए कोई एहसान नहीं है ’’ बल्कि स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान एक बुनियादी आवश्यकता है.अफगानिस्तान से अमेरिकी सुरक्षा बलों की वापसी की पृष्ठभूमि में तालिबान ने प्रमुखअफगान शहरों पर नियंत्रण कर लिया. 15 अगस्त को काबुल पर भी उसने नियंत्रण कर लिया. काबुल पर नियंत्रण के तीन सप्ताह बाद तालिबान ने तालिबान ने छह सितंबर को आखिरी प्रांत पंजशीर पर भी जीत का दावा किया और इस तरह पूरे अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में ले लिया . ब्लिंकन ने बृहस्पतिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘लब्बोलुबाब यह है कि तालिबान वैधता चाहता है, वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय से समर्थन चाहता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ तालिबान का संबंध उसकी कार्रवाइयों से परिभाषित किया जाएगा. हम यही देखना चाहते हैं और यह सिर्फ हम (अमेरिका) ही नहीं बल्कि सुरक्षा परिषद और दुनिया भर के इसके सदस्य देश देखना चाहते हैं.’’
उनसे पूछा गया था कि क्या जिन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के आधार पर तालिबान की वैधता टिकी है, उसे लेकर चीन, पाकिस्तान जैसे देशों और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सभी पांच स्थायी सदस्यों की राय एक है. ब्लिंकन ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इस संबंध में एक मजबूत दृष्टिकोण, एकता की जरूरत है. जाहिर है यह सिर्फ मैं नहीं कह रहा हूं बल्कि यह कुछ हफ्ते पहले 30 अगस्त को पारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में भी परिलक्षित होता है.’’ अगस्त में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लिए भारत की अध्यक्षता के दौरान परिषद के प्रस्ताव 2593 को स्वीकार किया गया था. प्रस्ताव में यह कहा गया है कि अफगान सरजमीन का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को शरण देने या प्रशिक्षित करने के लिए या आतंकवादी कृत्यों की साजिश रचने अथवा उसके वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए और संकल्प 1267 (1999) के अनुसार नामित व्यक्तियों और संस्थाओं सहित, अफगानिस्तान में आतंकवाद का मुकाबला करने के महत्व को दोहराते हुए इस संबंध में तालिबान की प्रासंगिक प्रतिबद्धताओं का हवाला दिया गया. यह भी पढ़ें : असम बेदखली अभियान में 2 की मौत, 20 घायल, सीएम बोले-कार्रवाईजारी रहेगी
ब्लिंकन ने संवाददाताओं से कहा कि वर्तमान में चल रहे संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च स्तरीय 76वें सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद, जी20 के साथ-साथ कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में अफगानिस्तान चर्चा का केंद्र था. उन्होंने कहा, ‘‘उन बैठकों में हमने (अमेरिका ने) रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अपने दृष्टिकोण में एकजुट रहना महत्वपूर्ण है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘तालिबान लगातार वैधता, अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांग रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए हमारा संदेश यही है कि तालिबान को वैधता या समर्थन प्रमुख क्षेत्रों में उसके द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर निर्भर करता है, जो हाल के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव में भी निहित हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए समर्थन नहीं हैं. यह एक स्थिर, सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए मूलभूत आवश्यकता है.’’