'अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में भारत में नई तकनीक को अपनाने की गति काफी धीमी'

भारत में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की तुलना में नयी तकनीक को अपनाने की गति काफी धीमी है और खनन क्षेत्र में अनुसंधान एवं कृत्रिम मेधा (एआई) के इस्तेमाल में निवेश करने की जरूरत है. एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही. कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एम नागराजू ने कहा कि देश में खनन जैसे उद्योगों में एआई और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) की क्षमता के इस्तेमाल से बहुत फायदा होगा.

खदान (Photo Credits: Twitter)

नयी दिल्ली, 27 मई. भारत (India) में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया (United States and Australia) जैसे देशों की तुलना में नयी तकनीक को अपनाने की गति काफी धीमी है और खनन क्षेत्र (Mining Sector) में अनुसंधान एवं कृत्रिम मेधा (Artificial Intelligence) के इस्तेमाल में निवेश करने की जरूरत है. एक शीर्ष अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही. कोयला मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एम नागराजू ने कहा कि देश में खनन जैसे उद्योगों में एआई और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things) की क्षमता के इस्तेमाल से बहुत फायदा होगा. उन्होंने कहा कि इससे लागत में कटौती होगी, उत्पादकता बढ़ेगी, गुणवत्ता में सुधार आएगा और प्रणाली कारगर होगी. यह भी पढ़ें- Twitter ने जांच में बाधा डालने के लिए दिया बयान, उन्हें पारदर्शिता बरतनी चाहिए: दिल्ली पुलिस.

नागराजू ने कहा, "असल में भारत में नयी तकनीकों को अपनाने की गति ऑस्ट्रेलिया, कनाडा या फिर अमेरिका की तुलना में काफी धीमी है." उन्होंने साथ ही कहा, "हम काफी पीछे हैं, शायद इसकी वजह हमारा पिछला इतिहास या इस क्षेत्र में निवेश की कमी है. हम अब भी काफी पीछे हैं. खनन उद्योग में तकनीकों पर ध्यान देने और निवेश करने की जरूरत है."

इंटरनेट आफ थिंग्स आपस में जुड़े कंप्यूटिंग उपकरणों, मैकेनिकल और डिजिटल मशीनों की एक प्रणाली है जिसमें विशिष्ट पहचानकर्ता शामिल होते हैं. यह इंसानों के बीच आपस में या इंसानों से कंप्यूटर के बीच संपर्क की जरूरत के बिना एक नेटवर्क पर डेटा हस्तांतरित कर सकता है.

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