देश की खबरें | चुनाव आयोग के कामकाज के तरीके से लोकतंत्र को खतरा, विपक्षी दल इस विषय पर एकजुट: कांग्रेस

नयी दिल्ली, 19 फरवरी कांग्रेस ने मतदाता सूचियों में कथित गडबड़ी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की वर्तमान प्रक्रिया को लेकर बुधवार को आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग के कामकाज के तरीके से देश के लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस विषय सभी विपक्षी दल एकजुट हैं तथा संसद वर्तमान बजट सत्र में इन दलों का सामूहिक रुख होगा।

कांग्रेस महासचिवों और प्रदेश प्रभारियों की बैठक में विभिन्न विषयों के साथ इस मामले पर विस्तृत चर्चा हुई।

रमेश ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने वर्तमान राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। हमने चर्चा की कि किस तरह से चुनाव आयोग को व्यवस्थित रूप से कमजोर किया गया है, उसकी शक्तियां छीन ली गई हैं और किस तरह से चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ मतदाता सूची की पूरी जानकारी साझा करने से इनकार कर दिया है।’’

उन्होंने दावा किया कि इस बात के स्पष्ट सबूत हैं कि एक के बाद एक विभिन्न राज्यों में लाखों-करोड़ों मतदाता फर्जी तरीके से बना दिए गए हैं, वास्तविक नाम हटा दिये गये हैं।

रमेश ने कहा, ‘‘यह हरियाणा में सच था, यह महाराष्ट्र में निश्चित रूप से सच था, यह दिल्ली में भी सच है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है और इस पर हमारी लंबी चर्चा हुई।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि आप जानते हैं आज केंद्र सरकार के अनुरोध पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई स्थगित हो गई। हम जो भी कदम उठा सकते हैं, उठाते रहेंगे।’’

रमेश ने कहा, ‘‘हमारा मानना ​​है कि भारतीय लोकतंत्र के लिए सबसे गंभीर खतरा अब चुनाव आयोग के कामकाज को लेकर तथा इस संदर्भ में है कि इस संस्था पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का नियंत्रण है।’’

उनका कहना था, ‘‘बाकी सभी पार्टियां हमारे साथ हैं, हमारे सहयोगी दलों में कोई मतभेद नहीं है. हम आने वाले दिनों में जब संसद सत्र फिर से शुरू होगा तो हमारा सामूहिक रुख होगा...यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह एक बुनियादी मुद्दा है। राजनीतिक दल को मतदाता सूची प्रदान करना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है। चुनाव आयोग यह रुख अपनाता रहा है कि यह राजनीतिक दल का काम है।’’

उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को 2023 के कानून के तहत मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) और निर्वाचन आयुक्तों (ईसी) की नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी।

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