चुनाव के बाद जनगणना और परिसीमन पूरा होते ही महिला आरक्षण से संबंधित कानून लागू होगा: शाह
अमित शाह

नयी दिल्ली, 20 सितंबर: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद जनगणना और परिसीमन की कार्रवाई पूरी की जाएगी और लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण से संबंधित कानून बहुत जल्द आकार लेगा. महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण से संबंधित ‘संविधान (128वां संशोधन) विधेयक, 2023’ पर निचले सदन में चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए शाह ने विपक्षी कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी पर परोक्ष निशाना भी साधा और कहा, ‘‘कुछ पार्टियों के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक एजेंडा हो सकता है, राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, चुनाव जीतने का हथियार हो सकता है, लेकिन मेरी पार्टी और मेरे नेता नरेन्द्र मोदी के लिए महिला सशक्तीकरण राजनीतिक मुद्दा नहीं है, मान्यता का सवाल है, कार्य संस्कृति का सवाल है.’’

देश में जनगणना होने और परिसीमन होने के बाद महिला आरक्षण से जुड़ा कानून लागू होने की स्थिति में इसे मूर्त रूप लेने में कई साल लग जाने संबंधी विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं पर गृह मंत्री ने कहा कि परिसीमन आयोग अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है जिसके प्रमुख उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते हैं और इसमें चुनाव आयोग के प्रतिनिधि और सभी दलों के एक-एक सदस्य होते हैं. उन्होंने कहा कि यह आयोग हर राज्य में जाकर पारदर्शी तरीके से नीति निर्धारण करता है और इसके पीछे केवल और केवल पारदर्शिता का ही सवाल है.

शाह ने तत्काल नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू करने के राहुल गांधी समेत अनेक विपक्षी सदस्यों के सुझाव पर कहा कि देश में महिलाओं के लिए आरक्षित होने वाली एक तिहाई सीटें कौन तय करेगा? उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि अगर वायनाड (राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र) में ऐसा हो गया तो क्या होगा, अगर हैदराबाद सीट महिला के लिए आरक्षित कर दी जाए तो एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी नाराज हो जाएंगे. गृह मंत्री ने राहुल का नाम लिये बिना उन पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि ‘‘कोई एनजीओ उन्हें चिट बनाकर दे देता है, उसे यहां पढ़ दिया जाता है। राजनीति के लिए लोग भाषण करते रहे, लेकिन मन से कल्याण करने का काम नरेन्द्र मोदी ने किया है.’’

शाह ने कहा कि राहुल गांधी ने सरकार के 90 सचिवों में से केवल तीन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वर्ग से होने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘‘उनकी समझ वही जानें। लेकिन देश सचिव नहीं चलाते, सरकार चलाती है.’’ शाह ने कहा कि इस सरकार में 29 मंत्री ओबीसी समुदाय के हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के 85 सांसद (29 प्रतिशत) ओबीसी के, देश में पार्टी के 1358 में से 27 प्रतिशत विधायक ओबीसी के और 40 प्रतिशत विधान परिषद सदस्य इस वर्ग से हैं. शाह ने कहा, ‘‘ओबीसी का राग अलापने वालों को मैं कहना चाहता हूं कि आपकी पार्टियों ने कभी ओबीसी को प्रधानमंत्री नहीं बनाया, भाजपा ने बनाया.’’

उन्होंने कहा कि पहले भी चार बार महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने के प्रयास हो चुके हैं, लेकिन कुछ कारणों से वे आगे नहीं बढ़ सके. उन्होंने कहा, ‘‘ क्या प्रयास अधूरे थे, क्या मंशा नहीं थी? मैं उसके कारणों में नहीं जाना चाहता और किसी पर दोषारोपण नहीं करना चाहता.’’ शाह ने कहा कि कुछ लोग सोशल मीडिया में भूमिका बना रहे हैं कि इस विधेयक में ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान नहीं है, मुसलमानों को आरक्षण का प्रावधान नहीं है, इसलिए इसका विरोध होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि अगर इसका समर्थन आज नहीं करेगे तो भी क्या यह जल्दी आ जाएगा? तब भी 2029 के बाद ही आएगा. शाह ने कहा, ‘‘लेकिन अगर समर्थन करेंगे तो इसके आने की गारंटी होगी। हम शुरुआत तो करें. इसमें कोई देरी नहीं होनी है. चुनाव के बाद तुरंत जनगणना और परिसीमन दोनों होंगे और बहुत जल्द यह कानून बनेगा. हम जो कहते हैं, वह करते हैं.’’ शाह ने इसे युग बदलने वाला विधेयक करार देते हुए कहा कि सभी दलों के सदस्यों को महिला नीत विकास के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए सर्वानुमति से इस विधेयक को पारित करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि दोनों सदनों में इस विधेयक के पारित होने के बाद देश की लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई स्थान मातृशक्ति के लिए आरक्षित होगा. शाह ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए और बाद में प्रधानमंत्री बनने पर नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में महिला सशक्तीकरण के लिए किये गये कार्य भी गिनाए. उन्होंने कहा कि महिला सशक्तीकरण की बात संविधान संशोधन से जुड़ी नहीं है और महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और सहभागिता तीनों बात सरकार की ‘सांस और प्राण’ हैं. शाह ने कहा कि संविधान के तहत सांसद तीन श्रेणियों- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं. उन्होंने कहा कि सामान्य श्रेणी में ओबीसी के सदस्य भी होते है.

उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद तीनों श्रेणियों में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण सुनिश्चित हो जाएगा. उन्होंने कहा,‘‘ यदि सदस्यों को लगता है कि विधेयक में कुछ अधूरा है तो उसमें कल सुधार कर लेंगे, लेकिन महिलाओं के सम्मान के लिए इसका समर्थन कीजिए. चार बार हमने माताओं-बहनों को निराश किया है. इस बार दलगत राजनीत से ऊपर उठकर हम सब विधेयक का समर्थन करें.’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)