मुस्लिम नेतृत्व तैयार करने का मुद्दा : ओवैसी के लिये कैसी है उत्तर प्रदेश की डगर
मुसलमानों को नेतृत्व मुहैया कराने के मुख्य मुद्दे के साथ उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने जा रही असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने परम्परागत रूप से मुस्लिम वोट हासिल करने वाली पार्टियों में बेचैनी पैदा कर दी है.
लखनऊ, 26 सितंबर : मुसलमानों को नेतृत्व मुहैया कराने के मुख्य मुद्दे के साथ उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव के मैदान में उतरने जा रही असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने परम्परागत रूप से मुस्लिम वोट हासिल करने वाली पार्टियों में बेचैनी पैदा कर दी है. ओवैसी ने आरोप लगाया है कि चाहे मुसलमानों के सबसे ज्यादा वोट हासिल करने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) हो या फिर सामाजिक न्याय के लिये दलित-मुस्लिम एकता की बात करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) हो, किसी ने भी मुसलमानों को नेतृत्व नहीं दिया. वह इसी आरोप को उत्तर प्रदेश में अपने चुनावी अभियान का आधार बना रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की आबादी में अपेक्षाकृत कम हिस्सेदारी रखने वाली जाटव, यादव, राजभर और निषाद समेत विभिन्न जातियों का कमोबेश अपना-अपना नेतृत्व है, मगर जनसंख्या में 19 प्रतिशत से ज्यादा भागीदारी रखने वाले मुसलमानों का कोई सर्वमान्य नेतृत्व नजर नहीं आता. राज्य में 82 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर मुसलमान मतदाता जीत-हार तय करने की स्थिति में हैं, मगर राजनीतिक हिस्सेदारी के नाम पर उनकी झोली में कुछ खास नहीं है. यह भी पढ़ें : Petrol Diesel Price Today: पेट्रोल-डीजल के नए रेट जारी, जानिए आज क्या है कीमत
एआईएमआईएम के राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद आसिम वकार ने रविवार को '' से कहा कि उनकी पार्टी का मुख्य लक्ष्य मुसलमानों को अपनी कौम की तरक्की और बेहतर भविष्य के लिये एक राजनीतिक चिंतन करने और नेतृत्व चुनने के लिए जागरुक करना है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों का वोट हासिल करती आयीं ‘‘तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों’’ ने भी कभी मुस्लिम नेतृत्व को उभरने नहीं दिया और सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से जाहिर हो गया है कि मुसलमानों की हितैषी बनने वाली पार्टियों ने उन्हें किस हाल में धकेल दिया है.