One Year of Modi Govt 2.0: PM नरेंद्र मोदी ने खुले पत्र में कहा- COVID-19 के खिलाफ लड़ाई लंबी, लेकिन हम विजय पथ पर चल पड़े हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों से आने वाले दिनों में भी धैर्य और जीवटता बनाए रखने का शनिवार को आह्वान किया और कहा कि वैश्विक महामारी के कारण यह संकट की घड़ी, देशवासियों के लिए संकल्प की घड़ी है और कोई भी आपदा या विपत्ति 130 करोड़ भारतीयों का वर्तमान और भविष्य तय नहीं कर सकती है.
नई दिल्ली, 30 मई: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में देशवासियों से आने वाले दिनों में भी धैर्य और जीवटता बनाए रखने का शनिवार को आह्वान किया और कहा कि वैश्विक महामारी के कारण यह संकट की घड़ी, देशवासियों के लिए संकल्प की घड़ी है और कोई भी आपदा या विपत्ति 130 करोड़ भारतीयों का वर्तमान और भविष्य तय नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ लम्बी लड़ाई में विजय के लिए सरकार के प्रत्येक दिशा-निर्देश का पालन करना जरूरी है वरना जीवन में हो रही असुविधा, जीवन पर आफत बन सकती है.
मोदी ने कहा, "हमें यह हमेशा याद रखना है कि 130 करोड़ भारतीयों का वर्तमान और भविष्य कोई आपदा या कोई विपत्ति तय नहीं कर सकती. हम अपना वर्तमान भी खुद तय करेंगे और अपना भविष्य भी. हम आगे बढ़ेंगे, हम प्रगति पथ पर दौड़ेंगे, हम विजयी होंगे." मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर देशवासियों के नाम पत्र में पिछले एक वर्ष में किये गए कार्यों को ऐतिहासिक करार देते हुए सरकार की उपलब्धियां बताईं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देशहित में किए कार्यों और निर्णयों की सूची बहुत लंबी है और एक साल के कार्यकाल के प्रत्येक दिन चौबीसों घंटे पूरी सजगता, संवेदनशीलता से काम हुआ और निर्णय लिए गए हैं. उन्होंने कहा कि यदि सामान्य स्थिति होती तो वे लोगों के बीच आते लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से जो परिस्थितियां बनी हैं, उन परिस्थितियों में वे पत्र के माध्यम से अपनी बात रख रहे हैं .
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने दूसरे कार्यकाल के लिये 30 मई 2019 को शपथ ली थी.
कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा कि भारत आज अन्य देशों की तुलना में ज्यादा संभली हुई स्थिति में है. ये लड़ाई लंबी है लेकिन हम विजय पथ पर चल पड़े हैं और विजयी होना हम सबका सामूहिक संकल्प है. कोरोना वायरस के प्रति लोगों को सचेत करते हुए उन्होंने कहा, "हमें ये भी ध्यान रखना है कि जीवन में हो रही असुविधा, जीवन पर आफत में न बदल जाए. इसके लिए प्रत्येक भारतीय के लिए प्रत्येक दिशा-निर्देश का पालन करना बहुत आवश्यक है. जैसे अभी तक हमने धैर्य और जीवटता को बनाए रखा है, वैसे ही उसे आगे भी बनाए रखना है."
देशवासियों के नाम लिखे पत्र में मोदी ने कोविड-19 के कारण लागू देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों, कारीगरों, छोटे उद्योगों, दुकानदारों, रेहड़ी पटरी वालों को हुई परेशानियों का जिक्र किया और कहा कि इनकी परेशानियां दूर करने के लिए सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं.
मोदी ने कहा, "निश्चित तौर पर, इतने बड़े संकट में कोई ये दावा नहीं कर सकता कि किसी को कोई तकलीफ और असुविधा न हुई. हमारे श्रमिक साथी, प्रवासी मजदूर, छोटे-छोटे उद्योगों में काम करने वाले कारीगर, पटरी पर सामान बेचने वाले, रेहड़ी-ठेला लगाने वाले, दुकानदार, लघु उद्यमियों ने असीमित कष्ट सहा है और इनकी परेशानियां दूर करने के लिए सभी मिलकर प्रयास कर रहे हैं."
कोविड-19 से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों और उससे निपटने का संकल्प व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज समय की मांग है कि हमें अपने पैरों पर खड़ा होना ही होगा. अपने बलबूते पर चलना ही होगा और इसके लिए एक ही मार्ग है-आत्मनिर्भर भारत.’’ उन्होंने कहा कि आज की परिस्थितियों में यह चर्चा बहुत व्यापक है कि भारत समेत तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाएं कैसे उबरेंगी?
मोदी ने कहा, "हमें यह विश्वास है कि जैसे भारत ने अपनी एकजुटता से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पूरी दुनिया को अचंभित किया है, वैसे ही आर्थिक क्षेत्र में भी हम नई मिसाल कायम करेंगे. हम 130 करोड़ भारतीय अपने सामर्थ्य से आर्थिक क्षेत्र में भी विश्व को चकित ही नहीं बल्कि प्रेरित भी कर सकते हैं." आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए हाल में घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि यह अभियान किसानों, श्रमिकों, लघु उद्यमियों, स्टार्ट अप्स से जुड़े नौजवानों सहित सभी लोगों के लिए नए अवसरों का दौर लेकर आएगा.
प्रधानमंत्री ने कहा, "भारतीयों की प्रतिभा से लोकल उत्पादों के दम पर भारत आयात पर अपनी निर्भरता कम करेगा और आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ेगा." प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "वर्ष 2014 में आपने, देश की जनता ने, देश में एक बड़े परिवर्तन के लिए और देश की नीति और रीति बदलने के लिए वोट किया था. जबकि वर्ष 2019 में जनादेश देश के बड़े सपनों, आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए था और इस एक साल में सरकार द्वारा लिए गए फैसले इन्हीं बड़े सपनों की उड़ान है."
उन्होंने कहा, "देश पिछले एक साल में ऐतिहासिक निर्णयों और विकास की अभूतपूर्व गति के साथ आगे बढ़ा है. लेकिन फिर भी मुझे पता है कि अब भी बहुत कुछ करना बाकी है. देश के सामने चुनौतियां अनेक हैं, समस्याएं अनेक हैं. मैं दिन-रात प्रयास कर रहा हूं. मुझ में कमी हो सकती है लेकिन देश में कोई कमी नहीं है." मोदी ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि देश की जनता की शक्ति और सामर्थ्य के बल पर वह चुनौतियों से निपट सकेंगे.
उन्होंने कहा कि सरकार के पहले कार्यकाल में पांच वर्षों में देश ने व्यवस्थाओं को जड़ता और भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकलते और अंत्योदय की भावना के साथ गरीबों का जीवन आसान बनाने के लिए गवर्नेंस को परिवर्तित होते देखा है. उन्होंने कहा कि भारत की इस ऐतिहासिक यात्रा में देश के हर समाज, हर वर्ग और हर व्यक्ति ने बखूबी अपना दायित्व निभाया है. ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ इस मंत्र को लेकर आज देश सामाजिक हो या आर्थिक, वैश्विक हो या आंतरिक, हर दिशा में आगे बढ़ रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते एक वर्ष में राष्ट्रीय एकता-अखंडता के लिए अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को समाप्त करना, सदियों पुराने संघर्ष के सुखद परिणाम के रूप में राम मंदिर निर्माण की बात हो, आधुनिक समाज व्यवस्था में रुकावट बना एक बार में तीन तलाक हो, या फिर भारत की करुणा का प्रतीक नागरिकता संशोधन कानून जैसे कार्य हुए .
उन्होंने प्रमुख रक्षा अध्यक्ष पद के गठन, मिशन गगनयान की तैयारी, प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि, ग्रामीण घरों में पाइप से शुद्ध पेयजल पहुंचाने की योजना, मछुआरों के लिये सुविधाएं एवं ब्लू इकोनॉमी को मजबूत बनाने तथा किसान, खेतिहर मजदूर, छोटे दुकानदार और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों आदि सभी के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद तीन हज़ार रुपए की नियमित मासिक पेंशन योजना का भी उल्लेख किया .
मोदी ने कहा कि एक के बाद एक हुए इन ऐतिहासिक निर्णयों के बीच अनेक बदलाव एवं फैसले ऐसे भी हैं जिन्होंने भारत की विकास यात्रा को नई गति दी है, नए लक्ष्य दिए हैं, लोगों की अपेक्षाओं को पूरा किया है . प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए पत्र में कहा कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद के गठन ने जहां सेनाओं में समन्वय को बढ़ाया है, वहीं मिशन गगनयान के लिए भी भारत ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं.
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उन्होंने कहा कि गरीबों को, किसानों को, महिलाओं-युवाओं को सशक्त करना हमारी प्राथमिकता रही है. अब पीएम किसान सम्मान निधि के दायरे में देश का प्रत्येक किसान आ चुका है और बीते एक वर्ष में इस योजना के तहत 9 करोड़ 50 लाख से ज्यादा किसानों के खातों में 72 हजार करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा कराई गई है. मोदी ने कहा कि देश के 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में पीने का शुद्ध पानी पाइप से मिले, इसके लिए जल जीवन मिशन शुरु किया गया है. हमारे 50 करोड़ से अधिक के पशुधन के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मुफ्त टीकाकरण का बहुत बड़ा अभियान भी चलाया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के इतिहास में यह भी पहली बार हुआ है जब, किसान, खेत मजदूर, छोटे दुकानदार और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों सहित 60 वर्ष की आयु के बाद 3 हज़ार रुपए की नियमित मासिक पेंशन की सुविधा सुनिश्चित हुई है. मछुआरों के लिये सहूलियत बढ़ाने का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उनको (मछुआरों) मिलने वाली सुविधाएं बढ़ाने और ब्लू इकॉनॉमी को मजबूत करने के लिए विशेष योजनाओं के साथ-साथ अलग से विभाग भी बनाया गया है. इसी तरह व्यापारियों की समस्याओं के समय पर समाधान के लिए व्यापारी कल्याण बोर्ड के निर्माण का निर्णय लिया गया है.
उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी लगभग 7 करोड़ बहनों को भी अब ज्यादा वित्तीय सहायता दी जा रही है. हाल में ही स्वयं सहायता समूहों के लिए बिना गारंटी के ऋण को 10 लाख से बढ़ाकर दोगुना यानि 20 लाख कर दिया गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि आदिवासी बच्चों की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए, देश में 450 से ज्यादा नए एकलव्य मॉडल रेसिडेंशियल स्कूलों के निर्माण का अभियान भी शुरू किया गया है. उन्होंने कहा कि सामान्य जन के हित से जुड़े बेहतर कानून बनें, इसके लिए भी बीते वर्ष में तेज गति से कार्य हुआ है. हमारी संसद ने अपने कामकाज से दशकों पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है.
इसी का परिणाम है कि चाहे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट हो, चिटफंड कानून में संशोधन हो, दिव्यांगों, महिलाओं और बच्चों को अधिक सुरक्षा देने वाले कानून हों, ये सब तेज़ी से बन पाए हैं. मोदी ने कहा कि सरकार की नीतियों और निर्णयों की वजह से शहरों और गांवों के बीच की खाई कम हो रही है. पहली बार ऐसा हुआ है जब गांव में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या, शहर में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों से 10 प्रतिशत ज्यादा हो गई है. प्रधानमंत्री ने पश्चिम बंगाल और ओडिशा में आए अम्फान चक्रवात का जिक्र करते हुए कहा, "जिस हौसले के साथ वहां के लोगों ने स्थितियों का मुकाबला किया, चक्रवात से होने वाले नुकसान को कम किया, वह हम सभी के लिए एक बड़ी प्रेरणा है."
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