लखनऊ, 20 सितंबर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना करते हुए मंगलवार को कहा कि विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों और निरंकुशता के खिलाफ धरना प्रदर्शन की इजाजत नहीं देना 'नई तानाशाही प्रवृत्ति' है।
मायावती ने सिलसिलेवार ट्वीट कर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश की।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, "विपक्षी पार्टियों को सरकार की जनविरोधी नीतियों, उसकी निरंकुशता तथा जुल्म-ज्यादती आदि को लेकर धरना-प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देना भाजपा सरकार की नई तानाशाही प्रवृति हो गई है। साथ ही, बात-बात पर मुकदमे, लोगों की गिरफ्तारी एवं विरोध को कुचलने की बनी सरकारी धारणा अति-घातक है।"
पूर्व मुख्यमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "इसी क्रम में इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा फीस में की गयी एकमुश्त भारी वृद्धि के विरोध में छात्रों के आन्दोलन को जिस प्रकार कुचलने का प्रयास जारी है वह अनुचित एवं निन्दनीय। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी निरंकुशता को त्याग कर छात्रों की वाजिब मांगों पर सहानुभतिपूर्वक विचार करे। बसपा की यह मांग है।"
उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, बदहाल सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य व कानून व्यवस्था के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार की लापरवाही के विरुद्ध धरना-प्रदर्शन नहीं करने देने एवं उनपर (प्रदर्शनकारियों पर) दमन चक्र के पहले भाजपा जरूर सोचे कि विधानभवन के सामने बात-बात पर सड़क जाम करके आमजनजीवन ठप करने का उसका क्रूर इतिहास है।"
मायावती ने ये ट्वीट सोमवार को विधानमंडल की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिए पैदल विधानभवन जा रहे समाजवादी पार्टी के विधायकों और विधानपरिषद सदस्यों को पुलिस द्वारा रोके जाने के एक दिन बाद किये हैं।
गौरतलब है कि सोमवार को पैदल विधानभवन जा रहे सपा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को पार्टी दफ्तर के नजदीक विक्रमादित्य मार्ग पर पुलिस ने रोक दिया था। पुलिस का कहना था कि पदयात्रा को इसलिए रोका गया है क्योंकि जिस रास्ते से उसे ले जाने के लिए इजाजत ली गई थी उसके बजाय किसी दूसरे मार्ग से यात्रा निकालने की कोशिश की गई। पुलिस द्वारा रोके जाने से नाराज सपा नेताओं ने धरना शुरू कर दिया था और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडे की अध्यक्षता में सांकेतिक सदन चलाया।
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